ॐ जाप
हिंदू पौराणिक कथाओं के अनुसार, ओम या ओमकार ब्रह्मा (निर्माता) , विष्णु (रक्षक) और शिव ( मुक्तिदाता ) तीनो का प्रतीक माना जाता है। "ओम " के जप हमारे भीतर परमात्मा की दैवी ऊर्जा (शक्ति) विकसित होती है।
ॐ की ध्वनि को बीजमंत्र या ब्रह्मांड की पहली आवाज है कि माना जाता है। इसलिए इस मन्त्र का जाप कर हम प्रकृति के साथ एक हो जाते हैं।अ = तमस (अंधकार, अज्ञान), उ = रजस (जुनून, गतिशीलता), म = सत्व (शुद्धता, प्रकाश)
अ = ब्रह्मा (निर्माता), उ = विष्णु (परिरक्षक), म = शिव (विध्वंसक)
अ = वर्तमान, उ = भूत, म = भविष्य
अ = जगे होने की स्थिति, उ = स्वप्न देखने की स्थिति, म = गहरी नींद की स्थिति
ॐ के बिना हर मंत्र अधूरा है, ॐ के बिना हर पूजा निष्फल है। हिन्दू मान्यताओं के अनुसार इस छोटे-से शब्द में पूरा संसार, पूरा ब्रह्मांड समाया है। इस शब्द में इतनी शक्ति है कि आप सोच भी नहीं सकते हैं। केवल इस एक शब्द के किसी मंत्र के आगे जुड़ जाने से उसका प्रभाव कई गुणा बढ़ जाता है।
जाप कैसे करे :-
- एकांत का एक समय चुनें।
- किसी शांत जगह का चुनाव करें।
- ध्यान केंद्रित करने और दैनिक गतिविधियों के विचार से अपने दिमाग को साफ करने का प्रयास करें।
- धीरे-धीरे गहरी श्वास ले और श्वाश छोड़ते समय ओम का उच्चार करे। यहाँ ओम का उच्चार औ -उ-म इन तीन शबो द्वारा होना चाहिए ओम की ध्वनि अंतिम अक्षर 'म ' पर जोर देने के साथ लंबा खींचिए।
- इस जाप को काम या ज्यादा समय जैसे आपकी इच्छा हो वैसे करे
- इस मन्त्र का जाप रोज़ करने से ही लाभ प्राप्त होता है।
- यदि सुबह जल्दी उठकर जाप कर पाएं तो बहुत अच्छा। यदि ऐसा संभव न हो, तो रात को सोने से पहले इसका जाप करें।
ॐ जाप के लाभ
- ध्यान केंद्रित किया जा सकता है। ध्यान केंद्रित करने से तनाव और बेचैनी कम कर सकते हैं।
- इस ध्यान के लिए हर दिन समय निश्चित करने पर शांति की भावना महसूस होगी। यह दैनिक दिनचर्या में फसे लोगो के लिए लाभकारक है और उदासी से बच सकते है।
- कई योग कक्षाओं में अक्सर ओम के मंत्र के साथ शुरू किय जाता है। किसी भी व्यायाम से पहले अगर ध्यान केंद्रित है, तो शरीर की गतिविधिया बेहतर बन सकती है।
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