श्रीमद्भागवत गीता न केवल धर्म का उपदेश देती है,बल्कि जीवन जीने की कला भी सिखाती है। गीता के उपदेशों पर चलकर न केवल हम स्वयं का, बल्कि समाज का कल्याण भी कर सकते हैं।
नमस्कार दोस्तों श्रीमद्भागवत गीता में जीवन की हर समस्या का समाधान छिपा है। हम आपको गीता मे कही कुछ ऐसी 12 बाते बताते है जो आपको हर मुसीबत मे आपकी मदद करेगी
1. क्रोध पर नियंत्रण
गीता के अनुसार – ‘क्रोध से भ्रम पैदा होता है, भ्रम से बुद्धि व्यग्र होती है. जब बुद्धि व्यग्र होती है तब तर्क नष्ट हो जाता हे . जब तर्क नष्ट हो जाता हैं तो व्यक्ति का पतन शुरू हो जाता है.’ तो आप समझ ही गए होंगे कि किस तरह आपका गुस्सा आपको और आपके जीवन को प्रभावित कर नुकसान पहुंचाता है. इसलिए अगली बार जब भी आपको क्रोध आए, खुद को शांत रखने का प्रयास करें.
गीता के अनुसार – ‘क्रोध से भ्रम पैदा होता है, भ्रम से बुद्धि व्यग्र होती है. जब बुद्धि व्यग्र होती है तब तर्क नष्ट हो जाता हे . जब तर्क नष्ट हो जाता हैं तो व्यक्ति का पतन शुरू हो जाता है.’ तो आप समझ ही गए होंगे कि किस तरह आपका गुस्सा आपको और आपके जीवन को प्रभावित कर नुकसान पहुंचाता है. इसलिए अगली बार जब भी आपको क्रोध आए, खुद को शांत रखने का प्रयास करें.
2. स्वयं का आकलन
गीता के अनुसार - हमें खुद हमसे अच्छी तरह और कोई नहीं जानता. इसलिए अपनी कमियों और अच्छाईयों का आंकलन कर खुद में एक अच्छे व्यक्तित्व का निर्माण करना चाहिए. जैसा आप सोचेंगे, वैसा ही आप आचरण भी करेंगे. इसलिए खुद को आत्मविश्वास से भरा हुआ और सकारात्मक बनाने के लिए अपनी सोच को सही करें.
3. मन पर नियंत्रण आवश्यक
अक्सर हमारे दुखों का कारण मन ही होता है. वह अनावश्यक और निरर्थक इच्छाओं को जन्म देता है, और जब वे इच्छाएं पूरी नहीं हो पाती तो वह आपको विचलित करता है. इसी कारण जीवन में जिन लक्ष्यों को आप पाना चाहते हैं, जैसा व्यक्तित्व अपनाना चाहते हैं उससे दूर होते चले जाते हैं. 'मन को नियंत्रित करना कठिन है, लेकिन अभ्यास और वैराग्य से इसे वश में किया जा सकता है.इसिलए मन को शांत रखने के लिए हर संभव प्रयास करे
4. स्वार्थी होने से बचे
अगर जीवन में सफलता का पड़ाव चुनना है तो हमें स्वार्थी होने से बचना होगा क्योंकि स्वार्थी एक ऐसा स्वभाव है कि जो हमें अन्य लोगों से दूर कर देता है. सही मायने में बोला जाए तो यह उस आईने में पड़े धूल की तरह है जो हमें अपना चेहरा देखने से रोकता है. इसलिए अगर जीवन में खुशियां पानी है तो हमें निस्वार्थ भाव से हर काम करना पड़ेगा.
अगर जीवन में सफलता का पड़ाव चुनना है तो हमें स्वार्थी होने से बचना होगा क्योंकि स्वार्थी एक ऐसा स्वभाव है कि जो हमें अन्य लोगों से दूर कर देता है. सही मायने में बोला जाए तो यह उस आईने में पड़े धूल की तरह है जो हमें अपना चेहरा देखने से रोकता है. इसलिए अगर जीवन में खुशियां पानी है तो हमें निस्वार्थ भाव से हर काम करना पड़ेगा.
5.संदेह (DOUBT) का त्याग करे
संदेह (DOUBT) के साथ कभी भी ख़ुशी नहीं मिल सकती – न इस लोक में न परलोक में | संशय (Doubt) के साथ हमारे दिमाग पर एक अस्पष्ट विचारो का पर्दा आ जाता है| संदेह हमे डरपोक और अस्थिर बना देता है| संदेह के कारण व्यक्ति, कभी भी साहस भरे निर्णय नहीं ले पाता और वह कड़ी मेहनत करने के बावजूद, हारे हुए व्यक्ति की तरह जिंदगी जीता हैं| इसीलिए संदेह का त्याग करे
6) जीवन का संतुलन बहुत जरूरी है
हमने एक ऐसी मानसिक स्थिति का निर्माण कर रखा है कि सुख की स्थिति आने पर हम खुशी से उछल जाते हैं और दुख की स्थिति में मानो मुरझा जाते हैं जबकि हमें हर स्थिति में एक सा रहना चाहिए
इसीलिए हर तरीके से हमें अपने जीवन का संतुलन बनाकर रखना चाहिए.
हमने एक ऐसी मानसिक स्थिति का निर्माण कर रखा है कि सुख की स्थिति आने पर हम खुशी से उछल जाते हैं और दुख की स्थिति में मानो मुरझा जाते हैं जबकि हमें हर स्थिति में एक सा रहना चाहिए
इसीलिए हर तरीके से हमें अपने जीवन का संतुलन बनाकर रखना चाहिए.
7. विश्वास का निर्माण
जो आप सोचते हो और जिन बातों पर आप विश्वास रखते है – आपके साथ वैसा ही होता है और आप वैसे ही बन जाते है| अगर विश्वास करते हो कि आप एक खुशमिजाज व्यक्ति हो, तो आप खुश रहेंगे और अगर नकारात्मक विचार लाएंगे, तो आप दुखी हो जाओगे | इसीलिए विश्वास निर्माण करना अत्यंत आवश्यक हे
8. ध्यान (MEDITATION) करना आवश्यक हे
हमारी समस्या यह है कि हम खुद को ही नहीं जानते| हम में से ज्यादातर लोगों ने खुद से कभी मिलने की कोशिश ही नहीं की| मैडिटेशन हमें खुद से मिलाता है और जब हम खुद को जान जाते है, तो हमें पता चलता है कि जीवन जीने की कला क्या हे | MEDITATION से मन एक दीपक की लौ की तरह अटूट हो जाता है इसिलए MEDITATION करना आवश्य के
हमारी समस्या यह है कि हम खुद को ही नहीं जानते| हम में से ज्यादातर लोगों ने खुद से कभी मिलने की कोशिश ही नहीं की| मैडिटेशन हमें खुद से मिलाता है और जब हम खुद को जान जाते है, तो हमें पता चलता है कि जीवन जीने की कला क्या हे | MEDITATION से मन एक दीपक की लौ की तरह अटूट हो जाता है इसिलए MEDITATION करना आवश्य के
9) मृत्यु से ना डरे- मृत्यु तो सिर्फ आत्मा के शरीर बदलने की प्रक्रिया है| जो जन्म लेता है, उसकी मृत्यु अवश्य होती है । और मृत्यु के बाद जन्म अवश्य होता है । जिसमें कोई परिवर्तन न हो सके ऐसी यह कुदरती व्यवस्था है | हमारे जीवन का सबसे अहम सत्य यह है कि जो इंसान इस धरती पर आता है वह कभी ना कभी धरती की मिट्टी में समा जाता है. इसलिए हमें कभी भी मृत्यु से नहीं डरना चाहिए
10) ईश्वर हमेशा हमारे साथ है - श्रीमद्भगवद गीता में भगवान् श्रीकृष्ण कहते हे की में ही ब्रह्मा में ही विष्णु और में ही महेश हु संसार के हर कण में में विध्यमान हु इस संसार में ऐसा कुछ भी नहीं है, जहां मैं नहीं हूं।अर्थात भगवान हर मनुष्य के साथ होता है उसके अच्छे कर्मों के साथ भी और बुरे कर्मों के साथ भी.
11 ) इच्छाओं पर नियंत्रण रखें
यह माना जाता है कि मनुष्य की सबसे बड़ी समस्या उसकी इच्छाओं से शुरू होता है. जिससे उसकी इच्छाएं बढ़ने लगती है वैसे-वैसे मनुष्य के जीवन में कठिनता आने लगती है. इसलिए जरूरी है कि हम अपने इच्छाओं के ऊपर काबू रखें.
यह माना जाता है कि मनुष्य की सबसे बड़ी समस्या उसकी इच्छाओं से शुरू होता है. जिससे उसकी इच्छाएं बढ़ने लगती है वैसे-वैसे मनुष्य के जीवन में कठिनता आने लगती है. इसलिए जरूरी है कि हम अपने इच्छाओं के ऊपर काबू रखें.
१२) परिवर्तन ही संसार का नियम है
एक पल में ही आप राजा बन सकते है या फ़कीर | पृथ्वी भी स्थिर नहीं है यह भी घूमती रहती है – दिन खत्म होने के बाद रात आती है, बहुत गर्मी के बाद एक सुखद मानसून आता है| ये बाते इस कथन की पुष्टि करती है कि परिवर्तनशीलता संसार का नियम है इसलिए उन बातों और वस्तुओं के लिए दुखी होने की आवश्यकता नहीं है, जो निश्चित नहीं है| परिवर्तन स्वीकार करना, आपको हर कठिन परिस्थिति में खुश रहने की शक्ति देता है|
एक पल में ही आप राजा बन सकते है या फ़कीर | पृथ्वी भी स्थिर नहीं है यह भी घूमती रहती है – दिन खत्म होने के बाद रात आती है, बहुत गर्मी के बाद एक सुखद मानसून आता है| ये बाते इस कथन की पुष्टि करती है कि परिवर्तनशीलता संसार का नियम है इसलिए उन बातों और वस्तुओं के लिए दुखी होने की आवश्यकता नहीं है, जो निश्चित नहीं है| परिवर्तन स्वीकार करना, आपको हर कठिन परिस्थिति में खुश रहने की शक्ति देता है|
जब भी आप भगवद् गीता पढ़ेंगे तो आपको ताकत मिलेगी | भगवान श्रीकृष्ण ने ये बातें अर्जुन को ही नहीं कही बल्कि अर्जुन के माध्यम से इस समस्त संसार को ज्ञान दिया | इस ज्ञान को हम अपने जीवन में उतारकर अद्भुत बदलाव महसूस कर सकते हैं |
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