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सोमवार, 24 जून 2019

अर्जुन के प्रश्न कृष्णा के उत्तर | Krishna -Arjun

अर्जुन के प्रश्न  कृष्णा के उत्तर - Krishna Arjun Samwad 

दोस्तों इस कहानी में हम अर्जुन के मन में उठ रहे प्रश्नों पर भगवान श्रीकृष्ण ने जो सुन्दर जवाब दिए वह प्रस्तुत करेंगे ये वो प्रश्न है जो नित्य हमारे मन को भी अशांत कर देते है और इस प्रश्न पर भगवान् श्रीकृष्ण के वो सुन्दर जवाब देखेंगे जिन्हे सुनकर कर आप के मन में उठ रही लहरे भी शांत हो जाएगी और जीवन को अवश्य ही एक नयी दिशा प्राप्त होगी। तो आइये जानते हे अर्जुन ने क्या क्या प्रश्न किये थे

Krishna -Arjun



अर्जुन का पहला प्रश्न : लोगो के बारे में सबसे अधिक क्या अचंभित करता है?

भगवान् श्रीकृष्ण ने उत्तर दिया : जब मनुष्य कठिनाई में होता है तो केहता है “मैं ही क्यों ?” और जब मनुष्य सुखी एवं समृद्ध होता है तब कभी नहीं केहता की “मैं क्यों ?”

अर्जुन का दूसरा प्रश्न: हे केशव जीवन इतना कठिन क्यों हो गया है ?

भगवान् श्रीकृष्ण ने उत्तर दिया : जीवन के बारे में सोचना बंद कर दो , ये जीवन को कठिन करता है , सिर्फ जीवन को जियो।

अर्जुन का तीसरा प्रश्न : मैं अपने जीवन में सर्वश्रेष्ठ कैसे प्राप्त कर सकता हु ?

भगवान् श्रीकृष्ण ने उत्तर दिया : अपने पिछले जीवन का बिना किसी खेद के सामना करो , वर्तमान को आत्म विश्वास से जियो और भविष्य का सामना करने के लिए खुद को निडरता से तैयार रखो।

भगवान् श्रीकृष्ण ने उत्तर दिया : अपने वर्तमान जीवन का बिना किसी खेद के सामना करो और भविष्य का सामना करने के लिए खुद को निडरता से तैयार रखो।

अर्जुन का चौथा प्रश्न : हम सदैव दुखी क्यों रहते है ?

भगवान् श्रीकृष्ण ने उत्तर दिया : चिंता करना तुम्हारी आदत बन चुकी है , इसलिए तुम सदैव दुखी रेह्ते हो

अर्जुन का पांचवां प्रश्न : लोगो को इतना कष्ट क्यों भुगतना पड़ता है ?

भगवान् श्रीकृष्ण ने उत्तर दिया : हीरे को रगड़े बिना चमकाया नहीं जा सकता और सोने को कभी ताप के बिना खरा नहीं किया जा सकता , अच्छे लोगो को परीक्षा के दौर से गुजरना पड़ता है ये कष्ट भुगतना नहीं हुआ। अनुभव से जीवन सुखद बनता है , ना की दुखद।

इस पर अर्जुन ने कहा : आप के कहने का मतलब है की ये अनुभव काम के है ?

भगवान् श्रीकृष्ण ने उत्तर दिया : मेरे कहने का मतलब यही है की अनुभव एक कठोर शिक्षक है ,जो पहले परीक्षा लेते है और बाद में पाठ पढाते है।

अर्जुन का छठा प्रश्न : जीवन की बहुत सारी समस्याओं की वजह से हमें येही समझ नहीं आता की हम किधर(कंहा) जा रहे है ?

भगवान् श्रीकृष्ण ने उत्तर दिया : अगर बाहर देखोगे तो समझ नहीं आएगा की कंहा जा रहे है , अपने भीतर देखो औरअपनी आत्मा को जानो आपको समज आ जायेगा की कहा जा रहे हो।

अर्जुन का सातवाँ प्रश्न : क्या असफलता ज्यादा दुखी करती है या सही दिशा में नहीं जा पाना ?

भगवान् श्रीकृष्ण ने उत्तर दिया : सफलता का मापदंड हमेशा दूसरे लोग तय करते है और संतुष्टि का आप स्वयं।

अर्जुन का आठवाँ प्रश्न : कठिन समय में अपने आप को प्रेरित कैसे रखना चाहिए ?

भगवान् श्रीकृष्ण ने उत्तर दिया : हमेशा देखो आप कितने दूर आ चुके हो बजाये ये देखने के की अभी कितनी दूर और जाना है , हमेशा ध्यान रखे ईश्वर की कृपा से क्या मिला है ये नहीं की क्या नहीं मिला है।

चाहे सुख हो या दुःख एक ही बात ध्यान में रखे ये समय नहीं रहेगा

अर्जुन : मेरा अंतिम सवाल , कई बार मुझे ऐसा लगता है की मेरी प्रार्थनाओं की सुनवाई नहीं होती।

कृष्ण : कोई भी ऐसी प्रार्थना नहीं है जिसकी सुनवाई न हुई हो विश्वास रखो और भय मुक्त हो जाओ। जीवन एक पहेली है सुलझाने के लिए , कोई समस्या नहीं है जिसका हल खोजा जाये। मुझ पर विश्वास रखो जीवन बहुत सुन्दर है अगर आपको जीना आता है तो  हमेशा खुश रहे।



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