Mahabharat Lord Krishna enlighten Karna Song Lyrics in Hindi from Mahabharat (2013) TV serial of Star Plus. Music composed by Ajay Gogavale and Atul Gogavale. Mahabharat song from Mahabharat 2013 historical Indian television series based on the ancient Sanskrit epic Mahabharat and telecast on StarPlus
महाभारत श्रीकृष्ण कर्ण अंतिम संवाद - Lord Krishna enlighten Karna
अंतिम समय में कर्ण ने भगवान श्रीकृष्ण से पूछा- हे केशव मेरी माँ ने मुझे जन्म देते ही त्याग दिया क्या ये मेरा अपराध था ? की मेरा जन्म एक अवैध बच्चे के रूप में हुआ था
द्रोणाचार्य ने मुझे शिक्षा देने से मना कर दिया क्योकि वो मुझे क्षत्रिय नहीं मानते थे
मुझे द्रोणाचार्य से शिक्षा नहीं मिली क्योंकि मुझे क्षत्रिय नहीं माना गया ।
मुझे द्रोणाचार्य से शिक्षा नहीं मिली क्योंकि मुझे क्षत्रिय नहीं माना गया ।
Lord Krishna enlighten Karna in Hindi - Mahabharat
परशुराम ने मुझे सिखाया लेकिन फिर मुझे झूठ बोलने की सज़ा के रूप में सब कुछ भूल जाने का श्राप दे दिया, लेकिन मुझे उस समय भी पता नहीं था कि मैं एक क्षत्रिय था।एक गाय गलती से मेरे तीर का निशाना बन गई थी और उसके मालिक ने मुझे बिना किसी दोष के श्राप दे दिया
मुझे द्रौपदी के स्वयंवर में अपमानित होना पड़ा।
यहाँ तक कि मेरी माता कुंती ने भी अपने बाकी बेटों को बचाने के लिए ही आखिरकार मुझसे सच कहा ।
मुझे जो कुछ भी मिला वह दुर्योधन के दान के माध्यम से मिला था। तो मैं उसका पक्ष लेने में कैसे गलत हूँ? ”
कर्ण की बाँट सुनकर भगवान् श्रीकृष्ण ने कहा,“कर्ण, मैं एक कारागार में पैदा हुआ था।
मृत्यु मेरे जन्म से पहले ही मेरी प्रतीक्षा कर रही थी। जिस रात मेरा जन्म हुआ था, मैं अपने जन्म देने वाले माता-पिता से अलग हो गया था।
बचपन से ही आप तलवारों, रथों, घोड़ों, धनुष और तीरों का शोर सुनकर बड़े हुए थे। लेकिन मुझे चलने से पहले ही गाय के झुंड, गोबर मिले | मेरी हत्या करने के कई सारे प्रयास किए गए।
मैं लोगों को यह कहते हुए सुन सकता था कि मैं उनकी सभी समस्याओं का कारण हूं।
जब आप सभी अपने शिक्षकों द्वारा अपनी वीरता के लिए सराहे जा रहे थे,
मुझे अपने पूरे समुदाय को जरासंध से बचाने के लिए यमुना के तट से दूर समुद्र के किनारे तक जाना पड़ा। मुझे भाग जाने के लिए रणछोर कहा गया
और अगर दुर्योधन युद्ध जीतता है तो आपको बहुत सारा श्रेय मिलेगा।धर्मराज युधिष्ठिर के युद्ध जीतने पर मुझे क्या मिलेगा? केवल और केवल युद्ध और सभी संबंधित समस्याओं का दोष।
एक बात याद रखना कर्ण…। हर किसी के जीवन में अपनी चुनौतियां होती हैं।
किसी का जीवन गुलाब के फूलों से सज़ा नहीं होता है।
दुर्योधन के जीवन में भी चुनैतियाँ थी और युधिष्ठिर के जीवन में भी । लेकिन जो धर्म के अनुसार चलता हे वही सही है
कोई फर्क नहीं पड़ता कि हमें कितनी अनुचितता मिली, हमें कितनी बार अपमानित किया गया, कितनी बार हमें नकार दिया गया , कितनी बार हमारे अधिकारों से हमें वंचित किया गया, महत्वपूर्ण बात यह है कि उस समय आप कैसे प्रतिक्रिया करते हो
जीवन की सच्चाई आपको गलत रास्ते पर चलने का अधिकार नहीं देती है। "हमेशा याद रखें, जीवन कुछ बिंदुओं पर कठिन हो सकता है, लेकिन भाग्य हमारे पहने हुए जूतों द्वारा नहीं बनाया जाता है बल्कि हमारे द्वारा उठाए गए कदमों द्वारा बनाया जाता हे…"
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