Produced - Ramanand Sagar / Subhash Sagar / Pren Sagar
निर्माता - रामानन्द सागर / सुभाष सागर / प्रेम सागर
Directed - Ramanand Sagar / Aanand Sagar / Moti Sagar
निर्देशक - रामानन्द सागर / आनंद सागर / मोती सागर
Chief Asst. Director - Yogee Yogindar
मुख्य सहायक निर्देशक - योगी योगिंदर
Asst. Directors - Rajendra Shukla / Sridhar Jetty / Jyoti Sagar
सहायक निर्देशक - राजेंद्र शुक्ला / सरिधर जेटी / ज्योति सागर
Screenplay & Dialogues - Ramanand Sagar
पटकथा और संवाद - संगीत - रामानन्द सागर
Camera - Avinash Satoskar
कैमरा - अविनाश सतोसकर
Music - Ravindra Jain
संगीत - रविंद्र जैन
Lyrics - Ramanand Sagar
गीत - रामानन्द सागर
कलयुग का राजा परिक्षित के राज्य में आगमन
कलयुग राजा परिक्षित के सोने के मुकुट में जा बैठता है। उस दिन जब राजा परिक्षित शिकार के लिए भटक रहे तो ऋषि शमिक के आश्रम में जा पहुँचते हैं जब वो वह पहुँचते हैं तो ऋषि साधना में लीन थे, राजा उनसे पानी माँगते हैं परंतु समाधि में लीन होने के कारण वो कोई उत्तर नहीं देते। तभी कलयुग राजा परिक्षित को मुनि को उनकी आज्ञा ना मानने पर मृत्यु दंड देने को उकसा देता है परंतु राजा अपने आप को रोक लेता है लेकिन पास ही एक मरे हुए साँप को ऋषि के गले में दल देता है और वह से चला जाता है। ऋषि शमिक के पुत्र शृंगी को जब ये पता चलता है राजा ने उसके पिता का तिरस्कार किया है तो वह राजा को श्राप दे देता है जिसमें उसकी मृत्यु 7 दिन बाद तक्षक सर्प के काटने से हो जाएगी। ऋषि शमिक अपने पुत्र शृंगी को समझाते हैं की उसने श्राप देकर बहुत ग़लत किया। जब राजा परिक्षित अपने महल वापस आ जाता है और जैसे ही वह अपने सर से मुकुट उतारते हैं तो उनके दिमाग़ से कलयुग द्वारा कराए गए अपराध से ग्लानि होती है। ऋषि शमिक राजा से मिलने के लिए उनके पीछे पीछे उनके महल पहुँच जाते हैं, राजा परिक्षित ऋषि शमिक का आदर सत्कार करते हैं।
ऋषि शमिक उनकी सराहना करते हैं और उन्हें अपने पुत्र शृंगी के द्वारा दिए गए श्राप का बताते हैं। ऋषि शमिक राजा को मोक्ष की प्राप्ति के लिए अपने गुरुओं से मिलने के लिए कहते हैं। राजा शमिक अपने गुरु के पास चले जाते हैं और उनसे अपने श्राप की बात बताते हैं और उनसे अपने लिए मुक्ति पाने के लिय रास्ता पूछते हैं। तो उनके गुरु उन्हें श्रीमद् भागवत का कथन करने के लिए कहते हैं। और उन्हें भगवान शुकदेव के पास भेजते हैं ताकि उनसे श्रीमद् भागवत सुना सके।
भगवान शुकदेव के पास जाकर राजा पारिक्षित उनसे मुक्ति का रस्ते पूछते हैं तो भगवान शुकदेव उन्हें श्रीमद् भागवत कथा सुनते हैं जिसमें श्री कृष्ण के जीवन लीला का बखान करते हैं। वो बताते हैं की मथुरा का राजकुमार कंस सभी ऋषि मुनियो और प्रजवासियो को दंडित करता था और खुद को भगवान मानता था। कंस आदि असुरों से मुक्ति के लिए सभी देवता ब्रह्मा जी के पास जाते हैं और मदद माँगते हैं। तो ब्रह्मा जी उन्हें बताते है की श्री हरि के अवतार लेने का वक्त आ चुका है। श्री हरि अवतार भी कंस की बहन के गर्भ से ही लेने वाले थे। दूसरी और कंस अपनी चचेरी बहन देवकी का विवाह वासुदेव के साथ करवा रहा था।
विवाह के पश्चात कंस देवकी और वासुदेव का सारथी बन उन्हें उनके राज्य में छोड़ने के लिये निकलता है। तभी रास्ते में आकाशवाणी होती है की कंस का मृत्यु देवकी के आठवे पुत्र द्वारा ही होगी। यह सुन कंस क्रोधित होकर देवकी को हाई मारने की कोशिश करता है ताकि ना देवकी रहेगी और ना ही उसका पुत्र जन्म लेगा।
श्रीकृष्णा, रामानंद सागर द्वारा निर्देशित एक भारतीय टेलीविजन धारावाहिक है। मूल रूप से इस श्रृंखला का दूरदर्शन पर साप्ताहिक प्रसारण किया जाता था।
यह धारावाहिक कृष्ण के जीवन से सम्बंधित कहानियों पर आधारित है। गर्ग संहिता , पद्म पुराण , ब्रह्मवैवर्त पुराण अग्नि पुराण, हरिवंश पुराण , महाभारत , भागवत पुराण , भगवद्गीता आदि पर बना धारावाहिक है सीरियल की पटकथा, स्क्रिप्ट एवं काव्य में बड़ौदा के महाराजा सयाजीराव विश्वविद्यालय के हिन्दी विभाग के अध्यक्ष डॉ विष्णु विराट जी ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
इसे सर्वप्रथम दूरदर्शन के मेट्रो चैनल पर प्रसारित 1993 को किया गया था जो 1996 तक चला, 221 एपिसोड का यह धारावाहिक बाद में दूरदर्शन के डीडी नेशनल पर टेलीकास्ट हुआ, रामायण व महाभारत के बाद इसने टी आर पी के मामले में इसने दोनों धारावाहिकों को पीछे छोड़ दिया था
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