Mahamṛtyuṃjaya Mantra "मृत्यु को जीतने वाला महान मंत्र" हे | जिसे त्रयंबकम मंत्र भी कहा जाता है | महामृत्युंजय मंत्र यजुर्वेद के रूद्र अध्याय में भगवान शिव की स्तुति हेतु की गयी एक वंदना है। इस मंत्र में शिव को 'मृत्यु को जीतने वाला' बताया गया है।
महामृत्युंजय मंत्र
ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम्।उर्वारुकमिव बन्धनान् मृत्योर्मुक्षीय मामृतात्॥
महामृत्युंजय मंत्र के 33 अक्षर हैं। जो महर्षि वशिष्ठ के अनुसार 33 करोड़ देवताओं के प्रतिक हैं। उन तैंतीस देवताओं में 8 वसु 11 रुद्र और 12 आदित्य, 1 प्रजापति तथा 1 षटकार हैं। इन तैंतीस कोटि देवताओं की सम्पूर्ण शक्तियाँ महामृत्युंजय मंत्र से निहीत होती है |
त्रयंबकम- कर्मकारक। त्रि.नेत्रों वाला |
यजामहे- हम पूजते हैं | सम्मान करते हैं।
सुगंधिम- सुगंधित। यानि मीठी महक वाला,
पुष्टि- जीवन की परिपूर्णता | एक सुपोषित स्थिति | फलने वाला व्यक्ति।
वर्धनम- वह जो शक्ति देता है। पोषण करता है
उर्वारुक- ककड़ी।
इवत्र- जैसे, इस तरह।
बंधनात्र- वास्तव में समाप्ति से अधिक लंबी है।
मृत्यु- मृत्यु से
मुक्षिया, मुक्ति दें। हमें स्वतंत्र करें |
मा - नअमृतात- अमरता, मोक्ष।
रामायण के अनुसार, भगवान राम भगवान विष्णु के सातवें अवतार थे जिन्होने यहां अपनी पत्नी सीता को रावण के चंगुल से बचाने के लिए यहां से श्रीलंका तक के लिए एक पुल का निर्माण किया था। पुराणों में रामेश्वरम् का नाम गंधमादन है।वास्तव में रामेश्वर का अर्थ होता है भगवान राम और इस स्थान का नाम, भगवान राम के नाम पर ही रखा गया हे । य
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