क्यों तोड़ी मेनका ने विश्वामित्र की तपस्या
ऋषि विष्वामित्र ने मोह के बारेमे बड़ी ही सूंदर बात करते हुए दसरथ को अपनी कहानी सुनाई
जब वे तपस्या में लीन थे और उनकी तपस्या भंग करने के लिए मेनका पृथ्वी लोक आयी थी |
ऋषि विश्वामित्र को अपने तपस्या में लीन देखकर अप्सरा मेनका सोचने लगी। कि आखिर वह ऐसा क्या करें? कि ऋषि विश्वामित्र उसकी तरफ आकर्षित हो जाए। वह एक अप्सरा थी लेकिन अब वह ऋषि विश्वामित्र के लिए एक नारी का रूप धारण करके पृथ्वी लोक पर आई थी। उसमे अब वह सभी गुण मौजूद थे। जो मृत्युलोक की एक नारी में होने चाहिए। स्वर्ग की अप्सरा के अवतार के कारन वह सुंदरता मूरत अप्सरा मेनका अपने आप में ही आकर्षण का केंद्र थी।
और उधर ऋषि विश्वामित्र का तप भंग करना बिल्कुल आसान कार्य नहीं था। किन्तु देवराज इंद्र के आदेश का पालन करने हुए यह अवसर वह खोना नहीं चाहती थी। इसलिए अप्सरा मेनका ने ऋषि विश्वामित्र को अपनी ओर आकर्षित करने का हर संभव प्रयास किया। वह कभी मौका पाकर ऋषि विश्वामित्र की आंखों का केंद्र बनाती थी तो कभी कामुकता पूर्वक होकर अपने वस्त्र को हवा के साथ उड़ने देती। ताकि ऋषि विश्वामित्र की नजर उस पर पड़ जाए लेकिन उस समय तक तपस्या के प्रभाव से ऋषि विश्वामित्र का शरीर कठोर हो चुका था। उसमें किसी भी प्रकार की भावना और कामना बिल्कुल नहीं थी। परंतु स्वर्ग की अप्सरा मेनका के निरंतर प्रयासों से ऋषि विश्वामित्र के शरीर में धीरे धीरे बदलाव आने लगा था।
सुंदरता और कामाग्नि की प्रतीक अप्सरा मेनका के प्रतिदिन के प्रयासों से ऋषि विश्वामित्र के शरीर में काम शक्ति की भावना धीरे-धीरे जागने लगी थी। ऋषि का मन मोह के कारन धीरे-धीरे मेनका की और होने लगा था । और अप्सरा मेनका के प्रतिदिन के प्रयास के बाद एक दिन वह समय भी आया जब ऋषि विश्वामित्र सृष्टि को बदलने के अपने दृढ़ निश्चय को भूल अपने तपस्या से उठ खड़े हुए। ऋषि विश्वामित्र सृष्टि के निर्माण के अपने फैसले को भूल कर उस स्त्री के मोह में फास गए थे जोकि स्वर्ग की एक सुंदर अप्सरा मेनका थी। इस सच से वंचित ऋषि विश्वामित्र उस अप्सरा मेनका रूपी स्त्री में अपनी अर्धांगिनी देखने लगे थे। ऋषि विश्वामित्र की तपस्या तो टूट चुकी थी ।
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