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रविवार, 17 जून 2018

दक्ष प्रजापति की पुत्रियों के नाम | Daughters of Daksha

 भगवान ब्रह्मा के मानस पुत्रों में से एक प्रजापति दक्ष का पहला विवाह स्वायंभुव मनु की तृतीय पुत्री प्रसूति से हुआ। मान्यता अनुसार भगवान ब्रह्मा के दक्षिणा अंगुष्ठ से प्रजापति दक्ष की उत्पत्ति हुई, लेकिन कल्पांतर में वही प्रचेता के पुत्र हुए। 

दक्ष प्रजापति की पुत्रियों और उनके पतियों के नाम - Who is Daughters of Daksha

फिर उन्होंने उन्होंने प्रजापति वीरण की कन्या असिकी को पत्नी बनाया। असिकी को वीरणी भी कहा जाता है।
Daughters of Daksha


पुराणों के अनुसार दक्ष प्रजापति परमपिता ब्रह्मा के पुत्र थे, जो कश्मीर घाटी के हिमालय क्षेत्र में रहते थे। प्रजापति दक्ष की दो पत्नियां थीं- प्रसूति और वीरणी। प्रसूति से दक्ष की 24 कन्याएं थीं और वीरणी से 60 कन्याएं। इस तरह दक्ष की 84 पुत्रियां थीं। समस्त दैत्य, गंधर्व, अप्सराएं, पक्षी, पशु सब सृष्टि इन्हीं कन्याओं से उत्पन्न हुई। दक्ष की ये सभी कन्याएं, देवी, यक्षिणी, पिशाचिनी आदि कहलाईं। उक्त कन्याओं और इनकी पुत्रियों को ही किसी न किसी रूप में पूजा जाता है। सभी की अलग-अलग कहानियां हैं।


प्रसूति से दक्ष की चौबीस पुत्रियाँ और उनके पति


  1. श्रद्धा (धर्म)
  2. लक्ष्मी (धर्म)
  3. धृति (धर्म)  
  4. तुष्टि (धर्म)  
  5. पुष्टि (धर्म)  
  6. मेधा (धर्म)
  7. क्रिया (धर्म)  
  8. बुद्धि (धर्म)  
  9. लज्जा (धर्म)  
  10. वपु (धर्म)  
  11. शांति (धर्म)  
  12. सिद्धि (धर्म)  
  13. कीर्ति (धर्म)
  14. ख्याति (महर्षि भृगु)
  15. सती (रूद्र)
  16. सम्भूति (महर्षि मरीचि)
  17. स्मृति (महर्षि अंगीरस)
  18. प्रीति (महर्षि पुलत्स्य)
  19. क्षमा (महर्षि पुलह)
  20. सन्नति (कृतु)
  21. अनुसूया (महर्षि अत्रि)
  22. उर्जा (महर्षि वशिष्ठ)
  23. स्वाहा (अग्नि)
  24. स्वधा (पितृस) 

पुत्रियों के पति के नाम : पर्वत राजा दक्ष ने अपनी 13 पुत्रियों का विवाह धर्म से किया। ये 13 पुत्रियां हैं- श्रद्धा, लक्ष्मी, धृति, तुष्टि, पुष्टि, मेधा, क्रिया, बुद्धि, लज्जा, वपु, शांति, सिद्धि और कीर्ति।

इसके बाद ख्याति का विवाह महर्षि भृगु से, सती का विवाह रुद्र (शिव) से, सम्भूति का विवाह महर्षि मरीचि से, स्मृति का विवाह महर्षि अंगीरस से, प्रीति का विवाह महर्षि पुलत्स्य से, सन्नति का कृत से, अनुसूया का महर्षि अत्रि से, ऊर्जा का महर्षि वशिष्ठ से, स्वाहा का पितृस से हुआ।

इसमें सती ने अपने पिता की इच्छा के विरुद्ध रुद्र से विवाह किया था। रुद्र को ही शिव कहा जाता है और उन्हें ही शंकर। पार्वती-शंकर के दो पुत्र और एक पुत्री हैं। पुत्र- गणेश, कार्तिकेय और पुत्री वनलता। 

भगवान शंकर से विवाद करके दक्ष ने उन्हें यज्ञ में भाग नहीं दिया। पिता के यज्ञ में रुद्र के भाग न देखकर सती ने योगाग्नि से शरीर छोड़ दिया। भगवान शंकर पत्नी के देहत्याग से रुष्ट हुए। उन्होंने वीरभद्र को भेजा। वीरभद्र ने दक्ष का मस्तक दक्षिणाग्नि में हवन कर दिया। देवताओं की प्रार्थना पर तुष्ट होकर भगवान शंकर ने सद्योजात प्राणी के सिर से दक्ष को जीवन का वरदान दिया। बकरे का मस्तक तत्काल मिल सका। तबसे प्रजापति दक्ष 'अजमुख' हो गए। 


वीरणी से दक्ष की साठ पुत्रियाँ और उनके पति 
  1. मरुवती (धर्म)
  2. वसु (धर्म)
  3. जामी (धर्म)  
  4. लंबा (धर्म)
  5. भानु (धर्म)
  6. अरुंधती (धर्म)
  7. संकल्प (धर्म)
  8. महूर्त (धर्म)
  9. संध्या (धर्म)
  10. विश्वा (धर्म)
  11. अदिति (महर्षि कश्यप)
  12. दिति (महर्षि कश्यप)
  13. दनु (महर्षि कश्यप)
  14. काष्ठा (महर्षि कश्यप)
  15. अरिष्टा (महर्षि कश्यप)
  16. सुरसा (महर्षि कश्यप)
  17. इला (महर्षि कश्यप)
  18. मुनि (महर्षि कश्यप)
  19. क्रोधवषा (महर्षि कश्यप)
  20. तामरा (महर्षि कश्यप)
  21. सुरभि (महर्षि कश्यप)
  22. सरमा (महर्षि कश्यप)
  23. तिमि (महर्षि कश्यप)
  24. कृतिका (चंद्रमा)
  25. रोहिणी (चंद्रमा)
  26. मृगशिरा (चंद्रमा)
  27. आद्रा (चंद्रमा)
  28. पुनर्वसु (चंद्रमा)
  29. सुन्रिता (चंद्रमा)
  30. पुष्य (चंद्रमा)
  31. अश्लेषा (चंद्रमा)
  32. मेघा (चंद्रमा)
  33. स्वाति (चंद्रमा)
  34. चित्रा (चंद्रमा)
  35. फाल्गुनी (चंद्रमा)
  36. हस्ता (चंद्रमा)  
  37. राधा (चंद्रमा)
  38. विशाखा (चंद्रमा)
  39. अनुराधा (चंद्रमा)
  40. ज्येष्ठा (चंद्रमा)
  41. मुला (चंद्रमा)
  42. अषाढ़ (चंद्रमा)
  43. अभिजीत (चंद्रमा)
  44. श्रावण (चंद्रमा)
  45. सर्विष्ठ (चंद्रमा)
  46. सताभिषक (चंद्रमा)
  47. प्रोष्ठपदस (चंद्रमा)
  48. रेवती (चंद्रमा)
  49. अश्वयुज (चंद्रमा)
  50. भरणी (चंद्रमा)
  51. रति (कामदेव) 
  52. स्वरूपा (भूत)
  53. भूता (भूत)
  54. स्वधा (अंगिरा प्रजापति)
  55. अर्चि (कृशाश्वा)
  56. दिशाना (कृशाश्वा)
  57. विनीता (तार्क्ष्य कश्यप)
  58. कद्रू (तार्क्ष्य कश्यप)
  59. पतंगी (तार्क्ष्य कश्यप)
  60. यामिनी (तार्क्ष्य कश्यप)

चंद्रमा से 27 कन्याओं का विवाह किया- कृतिका, रोहिणी, मृगशिरा, आर्द्रा, पुनर्वसु, सुन्रिता, पुष्य, अश्लेषा, मेघा, स्वाति, चित्रा, फाल्गुनी, हस्ता, राधा, विशाखा, अनुराधा, ज्येष्ठा, मुला, अषाढ़, अभिजीत, श्रावण, सर्विष्ठ, सताभिषक, प्रोष्ठपदस, रेवती, अश्वयुज, भरणी। उक्त कन्याओं को नक्षत्र कन्याएं भी कहा जाता हैं। हालांकि अभिजीत को मिलाकर कुल 28 नक्षत्र माने गए हैं। उक्त नक्षत्रों के नाम इन कन्याओं के नाम पर ही रखे गए हैं।।

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