Ramayan Laxman-Ravan - तीन बातें जो रावण ने लक्ष्मण को कही थी
जिस समय रावण मृत्यु की अंतिम अवश्था में था उस समय भगवान् श्री राम ने लक्ष्मण से कहा था की , "इस संसार से निति राजनीती और शास्त्रों का महान पंडित रावण विदा ले रहा हे तुम उसके पास जाकर उससे नीति राजनीति और शक्ति की कुछ ऐसी शिक्षा ले लो जो और कोई नहीं दे सकता ।"
लक्ष्मण ने भगवान् श्री राम से कहा इस समय, जब वह घायल होकर मृत्यु शैय्या पर पड़ा है और वो क्रोधित भी होगा तब वे मुझे राजनीति का उपदेश कैसे देगा।"?
श्रीराम ने कहा, लक्ष्मण, रावण शास्त्रों और राजनीति का महान ज्ञाता हे । अहंकार ने ही उसको आज इस दशा में पहुंचाया है। अब उसका अहंकार दूर हो गया। अब वह तुम्हें अपना शत्रु नहीं मित्र समझेगा।"
लक्ष्मण राम की आज्ञा का पालन करते हुए रावण के पास गए और उसके सिर के पास खड़े होकर बोले, "लंकाधिपति, मैं श्रीराम का छोटा भाई लक्ष्मण राजनीति का ज्ञान प्राप्त करने की इच्छा से आपके पास आया हूँ।"
रावण ने लक्ष्मण को एक क्षण देखा, फिर आँखें बंद कर लीं।
कुछ देर खड़े रहने के बाद लक्ष्मण लौट आए और अपने भाई श्रीराम से कहा , भैय्या "मैंने कहा था कि इस समय रावण कुछ नहीं बताएगा। उसने मुझे देखते ही आंखें बंद कर लीं।"
भगवान् श्री राम ने राम ने मुस्कुराते हुए पूछा, "तुम यह बताओं कि तुम उसके पास जाकर किस ओर खड़े थे ?"
लक्ष्मण ने कहा, "मैं उसके सिरहाने की ओर खड़ा था।"
भगवान् श्री राम ने राम ने कहा, " यदि किसीसे ज्ञान प्राप्त करना हो तो उसके चरणों की तरफ खड़े होकर प्रणाम करके अपनी बात कहनी चाहिए।
यह बात सुनकर लक्ष्मण फिर गए और उन्होंने रावण के चरणों का स्पर्श करके प्रणाम किया, फिर उपदेश की याचना की।
इस बार रावण ने मुस्कुराते हुए लक्ष्मण को आशीर्वाद दिया और, वो तीन बांटे बताई जो जीवन में सफलता की पूंजी हे
ये तीन बांटे थी जो महापंडित रावण ने लक्ष्मण को बताई थी
श्रीराम ने कहा, लक्ष्मण, रावण शास्त्रों और राजनीति का महान ज्ञाता हे । अहंकार ने ही उसको आज इस दशा में पहुंचाया है। अब उसका अहंकार दूर हो गया। अब वह तुम्हें अपना शत्रु नहीं मित्र समझेगा।"
लक्ष्मण राम की आज्ञा का पालन करते हुए रावण के पास गए और उसके सिर के पास खड़े होकर बोले, "लंकाधिपति, मैं श्रीराम का छोटा भाई लक्ष्मण राजनीति का ज्ञान प्राप्त करने की इच्छा से आपके पास आया हूँ।"
रावण ने लक्ष्मण को एक क्षण देखा, फिर आँखें बंद कर लीं।
कुछ देर खड़े रहने के बाद लक्ष्मण लौट आए और अपने भाई श्रीराम से कहा , भैय्या "मैंने कहा था कि इस समय रावण कुछ नहीं बताएगा। उसने मुझे देखते ही आंखें बंद कर लीं।"
भगवान् श्री राम ने राम ने मुस्कुराते हुए पूछा, "तुम यह बताओं कि तुम उसके पास जाकर किस ओर खड़े थे ?"
लक्ष्मण ने कहा, "मैं उसके सिरहाने की ओर खड़ा था।"
भगवान् श्री राम ने राम ने कहा, " यदि किसीसे ज्ञान प्राप्त करना हो तो उसके चरणों की तरफ खड़े होकर प्रणाम करके अपनी बात कहनी चाहिए।
यह बात सुनकर लक्ष्मण फिर गए और उन्होंने रावण के चरणों का स्पर्श करके प्रणाम किया, फिर उपदेश की याचना की।
इस बार रावण ने मुस्कुराते हुए लक्ष्मण को आशीर्वाद दिया और, वो तीन बांटे बताई जो जीवन में सफलता की पूंजी हे
तीन बातें जो रावण ने लक्ष्मण को कही थी
- पहली बाँट जो रावण ने लक्ष्मण को बताई वो ये थी की "धर्म का कार्य करने में एक क्षण की भी देरी नहीं करनी चाहिए और अधर्म का कार्य करने से पहले सौ बार सोचना चाहिए। उसके साथ बताया की शुभस्य शीघ्रम शुभ कार्य करने में कभी भी देरी नहीं करनी चाहिए. जैसे ही किसी शुभ कार्य का चिंतन हो या मन में विचार आए उसे तुरंत कर ड़ालना चाहिए. इसके अलावा अशुभ को जितना टाल सकते हो उसे टाल दो.रावण ने कहा में श्री राम को पहचान न सका और उनके पास आने में देर कर दी और इसी कारण आज मेरी यह हालत हुए
- दूसरी बाँट जो रावण ने लक्ष्मण को बताई वो ये थी की - कभी भी अपने प्रतिद्वंद्वी या शत्रु को खुद से छोटा या कम नहीं समझना चाहिए. रावण ने कहा की उसने वानर और भालू की सेना को साधारण समजा और अपना सब कुछ नष्ट कर बैठा. और रावण ने जब ब्रह्माजी से अमरता का वरदान माँगा था तब मनुष्य और वानर के अतिरिक्त कोई मेरा वध न कर सके ऐसा वर माँगा था क्योकि वे मनुष्य और वानर को तुच्छ समझता था रावण ने स्वीकारा किया की यह उसकी सबसे बड़ी भूल थी
- तीसरी और अंतिम बाँट जो रावण ने लक्ष्मण को बताई वो ये थी की - अपने रहस्य कभी किसी को भी नहीं बताने चाहिए. रावण ने लक्ष्मण से कहा कि मेरे मृत्यु से जुड़ा रहस्य यदि में किसी को नहीं बताता तो आज मेरी मृत्यु नहीं होती. लेकिन मैने यह रहस्य अपने भाई विभीषण को भरोसा कर बताया जिसके कारण आज में मृत्यु शैया पर पड़ा हूं.
ये तीन बांटे थी जो महापंडित रावण ने लक्ष्मण को बताई थी
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