राधाकृष्ण | कृष्ण वाणी
मनुष्य का स्वभाव है कमाना, संग्रह करना फिर चाहे
वो धन हो, नाते हो, संबंध हो या हो प्रसन्नता,
परन्तु क्या आपने कभी सोचा है?
नियति ने ये संग्रह करने की प्रकृति मनुष्य में क्यों डाली?
एक बीज से पौधा पनपता है, उसके भोजन से फल संग्रहित होता है क्यों?
इसलिए ताकि वृक्ष उसे स्वयं खा सके?
नहीं,
बल्कि इसलिए ताकि वो भूखे जीवों में बाँट सके।
अब आप पूछेंगे कि इसमें वृक्ष का क्या लाभ?
लाभ है, क्योंकि जो बांटता है वो मिटता नहीं।
जो फल ये जीव खाते है वो उसके बीजों को वातावरण
में बिखेर देते है जिससे जन्म लेते है नए वृक्ष, उसकी जाति,
एक-एक क्षण संग्रह करना पड़ता है।
किन्तु अमर बनने के लिए एक-एक कण बांटना पड़ता है।
राधे-राधे!
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