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मंगलवार, 14 जनवरी 2020

मकरसंक्रांति क्यों मनाई जाती है? | Makar Sankranti 2020

मकरसंक्रांति क्यों मनाई जाती है? | Makar Sankranti 2020

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मकर संक्रांति हिन्दुओं का प्रमुख पर्व है जो जनवरी के महीने में 14 या 15 तारीख को मनाया जाता है. पूरे भारत में इस त्योहार को किसी न किसी रूप में मनाया जाता है. तमिलनाडु में इसे पोंगल के रूप में मनाते हैं जबकि कर्नाटक, केरल और आंध्र प्रदेश में इसे केवल 'संक्रांति' कहते हैं

इस दिन स्नान, दान, तप, जप और अनुष्ठान का अत्यधिक महत्व है।.

संक्रांति के दिन होता है सूर्य का उत्तरायण
जब सूर्य धनु राशि को छोड़ मकर राशि में प्रवेश करता है . मकर संक्रांति के दिन से सूर्य की उत्तरायण गति प्रारंभ होती है. इसलिए इसको उत्तरायणी भी कहते हैं.

सौ गुना बढ़कर मिलता है दान
शास्त्रों के अनुसार, दक्षिणायन को देवताओं की रात्रि यानि नकारात्मकता का प्रतीक और उत्तरायण को देवताओं का दिन अर्थात सकारात्मकता का प्रतीक माना गया है. इसीलिए इस दिन जप, तप, दान, स्नान, श्राद्ध, तर्पण आदि धार्मिक क्रियाकलापों का विशेष महत्व है. धारणा है कि इस अवसर पर दिया गया दान सौ गुना बढ़कर पुन: प्राप्त होता है.

रातें छोटी व दिन होंगे बड़े
भारत देश उत्तरी गोलार्द्ध में स्थित है. मकर संक्रांति से पहले सूर्य दक्षिणी गोलार्ध में होता है अर्थात भारत से दूर होता है. इसी कारण यहां रातें बड़ी एवं दिन छोटे होते हैं तथा सर्दी का मौसम होता है, लेकिन मकर संक्रांति से सूर्य उत्तरी गोलार्द्ध की ओर आना शुरू हो जाता है. अत: इस दिन से रातें छोटी एवं दिन बड़े होने लगते हैं तथा गरमी का मौसम शुरू हो जाता है.

शनि देव से मिलने जाते हैं भगवान भास्कर
ऐसी पौराणिक मान्यता है कि इस दिन भगवान भास्कर अपने पुत्र शनि से मिलने स्वयं उसके घर जाते हैं. चूंकि शनिदेव मकर राशि के स्वामी हैं, अत: इस दिन को मकर संक्रांति के नाम से जाना जाता है.



Makar Sankranti 2020


संक्रांति पर भीष्म पितामह ने त्यागी थी देह
महाभारत काल में भीष्म पितामह ने अपनी देह त्यागने के लिए मकर संक्रांति का ही चयन किया था. मकर संक्रांति के दिन ही गंगाजी भगीरथ के पीछे-पीछे चलकर कपिल मुनि के आश्रम से होकर सागर में जा मिली थीं. इसलिए संक्रांति मनाने की परंपरा सदियों से चली आ रही है. इस दिन तिल-गुड़ के सेवन का साथ नए जनेऊ भी धारण करना चाहिए.

दान का महत्व
मकर संक्रांति के दिन ब्राह्मणों को अनाज, वस्त्र, ऊनी कपड़े, फल आदि दान करने से शारीरिक कष्टों से मुक्ति मिलती है। कहते हैं कि इस दिन किया गया दान सौ गुना होकर प्राप्त होता है। मकर संक्रांति के दिन दान करने वाला व्यक्ति संपूर्ण भोगों को भोगकर मोक्ष को प्राप्त होता है।

पतंग उड़ाने का महत्व
मकर संक्रांति पर पतंग उड़ाने के पीछे कोई धार्मिक कारण नहीं है। संक्रांति पर जब सूर्य उत्तरायण होता है तब इसकी किरणें हमारे शरीर के लिए औषधि का काम करती है। पतंग उड़ाते समय हमारा शरीर सीधे सूर्य की किरणों के संपर्क में आ जाता है जिससे सर्दी में होने वाले रोग नष्ट हो जाते हैं। और हमारा शरीर स्वस्थ रहता है।



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