Nine avtar of Maa Durga | माँ नवदुर्गा के 9 रूप Navratri 2022
नवरात्र के 9 दिनों में आदिशक्ति दुर्गा के 9 रूपों का भी पूजन किया जाता है। माता के इन 9 रूपों को 'नवदुर्गा' के नाम से जाना जाता है। नवरात्र के 9 दिनों में मां दुर्गा के जिन 9 रूपों का पूजन किया जाता है, उनमें पहला शैलपुत्री, दूसरा ब्रह्मचारिणी, तीसरा चंद्रघंटा, चौथा कूष्मांडा, पांचवां स्कंदमाता, छठा कात्यायनी, सातवां कालरात्रि, आठवां महागौरी और नौवां सिद्धिदात्री लेकिन इन माताओ के नाम का अर्थ क्या होता हे ये हम इस वीडियो में विश्तार से प्रस्तुत करेंगे | तो आइये दोस्तों जानते हे आद्यशक्ति दुर्गा के नौ रूपों के बारेमे |
प्रथमं शैलपुत्री च द्वितीयं ब्रह्मचारिणी।
तृतीयं चन्द्रघण्टेति कूष्माण्डेति चतुर्थकम् ।।
पंचमं स्कन्दमातेति षष्ठं कात्यायनीति च।
सप्तमं कालरात्रीति महागौरीति चाष्टमम् ।।
नवमं सिद्धिदात्री च नवदुर्गा: प्रकीर्तिता:।
उक्तान्येतानि नामानि ब्रह्मणैव महात्मना ।।
1 शैलपुत्री
२ ब्रह्मचारिणी
आश्विन मास की द्वितीया तिथि के दिन श्री दुर्गा के द्वितीय रूप माता ब्रह्मचारिणी की पूजा की जाती है। माता इस रूप में तपस्विनीस्वरूपा होती है। माता पार्वती ने भगवान शंकर को पति के रूप में पाने के लिए तपस्या-साधना की थी, उसी रूप के कारण उनका नाम ब्रह्मचारिणी पड़ा।
दधाना करपाद्माभ्याम, अक्षमालाकमण्डलु।
देवी प्रसीदतु मयि, ब्रह्मचारिण्यनुत्तमा।।
३ चंद्रघंटा
माता के तीसरे रूप में चंद्रघंटा की पूजा की जाती है। माता चंद्रघंटा के माथे पर चंद्र अर्द्ध स्वरूप में विद्यमान है। नवरात्र के तीसरे दिन इनका पूजन-अर्चन किया जाता है। माता चंद्रघंटा का पूजन करने से उपवासक की सभी मनोइच्छा स्वत: पूरी हो जाती है तथा वह सांसारिक कष्टों से मुक्ति पाता है।
पिंडजप्रवरारूढ़ा, चंडकोपास्त्रकैर्युता।
प्रसादं तनुते मह्मं, चंद्रघंटेति विश्रुता।।
४ माता कूष्मांडा
नवरात्रे का चौथा दिन माता कूष्मांडा की पूजा-आराधना करने का है। यह माता कूष्मांडा का चौथा रूप है। एक मान्यता के अनुसार ब्रह्मांड की उत्पत्ति माता कूष्मांडा के उदर से हुई है। नवरात्रे के चौथे दिन इनकी पूजा-आराधना की जाती है। चौथे नवरात्रे को जो जन पूर्ण विधि-विधान से उपवास करता है, उसके समस्त रोग-शोक नष्ट हो जाते हैं। माता कूष्मांडा की पूजा करने के बाद इस दिन उनको मालपुओं का भोग लगाया जाता है
सुरासंपूर्णकलशं, रुधिराप्लुतमेव च।
दधाना हस्तपद्माभ्यां, कूष्मांडा शुभदास्तु मे।
आश्विन मास में माता दुर्गा के अलग-अलग रूपों की पूजा की जाती है। नवरात्र के पांचवें दिन स्कंदमाता की पूजा की जाती है। स्कंदमाता कुमार कार्तिकेय की माता है। पांचवें दिन माता के इस रूप की आराधना करने से उपवासक को स्वत: ही सभी सिद्धियां प्राप्त होती हैं।
सिंहासनगता नित्यं, पद्माश्रितकरद्वया।
शुभदास्तु सदा देवी, स्कंदमाता यशस्विनी।
६ माता कात्यायनी
माता कात्यायनी माता दुर्गा का छठा रूप है। आश्विन मास की षष्ठी तिथि को माता के इस रूप की पूजा की जाती है। माता कात्यायनी ऋषि कात्यायन की पुत्री हैं। माता को अपनी तपस्या से प्रसन्न करने के बाद उनके यहां माता ने पुत्री रूप में जन्म लिया, इसी कारण वे कात्यायनी कहलाईं।
चंद्रहासोज्जवलकरा, शार्दूलवरवाहना।
कात्यायनी शुभं दद्यात्, देवी दानवघातिनी।।
७ माता कालरात्रि
सप्तमी तिथि में माता के कालरात्रि स्वरूप की पूजा-आराधना की जाती है। ये माता काल अर्थात बुरी शक्तियों का नाश करने वाली हैं इसलिए इन्हें कालरात्रि के नाम से जाना जाता है।इस प्रकार माता की पूजा करने से व्यक्ति पर आने वाले शोक से मुक्ति मिलती है व उपवासक पर आकस्मिक रूप से आने वाले संकट भी कम होते हैं।
एकवेणी जपाकर्ण, पूरा नग्ना खरास्थिता।
लम्बोष्ठी कर्णिकाकर्णी, तैलाभ्यक्तशरीरिणी।।
वामपादोल्लसल्लोह, लताकंटकभूषणा।
वर्धनमूर्धध्वजा कृष्णा, कालरात्रिभयंकरी।।
८ माता महागौरी
श्री दुर्गा अष्टमी के दिन माता के आठवें रूप महागौरी की पूजा की जाती है। अपने गोरे रंग के कारण इनका नाम महागौरी पड़ा है। माता के महागौरी रूप का पूजन करने पर माता प्रसन्न होकर उपवासक के हर असंभव कार्य को भी संभव कर आशीर्वाद देती हैं। यह माता नि:संतानों की मनोकामना पूरी करती है।
श्र्वेते वृषे समारूढा, श्र्वेतांबरधरा शुचि:।
महागौरी शुभं दद्यात्, महादेवप्रमोददाद।।
९ माता सिद्धिदात्री
९ माता सिद्धिदात्री
नवरात्र के नौवें दिन माता सिद्धिदात्री की पूजा-आराधना का होता है। माता सिद्धिदात्री को सभी प्रकार की सिद्धियां देने वाली कहा गया है। नवरात्रि के नवम दिन इनकी पूजा और आराधना की जाती है। इन्हें सिद्धियों की स्वामिनी भी कहा जाता है। यह उपवास व्यक्ति को मृत्यु के भय से राहत देता है और अनहोनी घटनाओं से बचाता है
सिद्धंगधर्वयक्षाद्यै:, असुरैरमरैरपि।
सेव्यमाना सदा भूयात्, सिद्धिदा सिद्धिदायिनी।।
9 दिनों तक भक्त मां दुर्गा के नौं स्वरुपों का पूजन करते हैं। प्रथम दिन मां शैलपुत्री, द्वितीय मां ब्रह्मचारिणी, चतुर्थ मां चंद्रघंटा, पंचम स्कंद माता, षष्टम मां कात्यायनी, सप्तम मां कालरात्रि, अष्टम मां महागौरी, नवम मां सिद्धिदात्री का पूजन किया जाता है। मां के हर स्वरुप की अपनी एक अलग विशिष्टता और निराली महिमा है।
मातारानी वरदान ना देना हमें,
बस थोड़ा सा प्यार देना हमें,
तेरे चरणों में बीते ये जीवन सारा,
एक बस यही आशीर्वाद देना हमें|
आप सबको नवरात्री की शुभकामनाये|
मातारानी वरदान ना देना हमें,
बस थोड़ा सा प्यार देना हमें,
तेरे चरणों में बीते ये जीवन सारा,
एक बस यही आशीर्वाद देना हमें|
आप सबको नवरात्री की शुभकामनाये|
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