कलयुग की भविष्यवाणी शनिदेव ने पांडवो को बताई । Mahabharat Pandav and Shanidev story
शनिदेव ने पांडवो को बताई कलयुग की भविष्यवाणी जो आज हम अपने आस पास देख भी रहे है अज्ञातवास के दौरान एक बार शनिदेव ने अज्ञातवास के दौरान पांडवो की परीक्षा लेने की सोची और शनिदेव ने जंगल में एक माया महल बनाया जिसमे चार कोने थे उतर, दक्षिण,पूर्व और पश्चिम
अचानक भीम,सहदेव नकुल और अर्जुन की नजर महल पर पड़ी। महल का सूंदर नजारा देख वह आकर्षित हो उठे ।
तत्पचात चारो भाई युधिष्ठिर की अनुमति लेकर महल देखने गए
जब चारो भाई महल के द्वार पर पहुंचे तब शनिदेव वहा दरबान के रूप में खड़े थे,
चारो भाईओ ने कहा, हमे महल देखना है…इसपर दरबान बने शनिदेव ने कहा-इस महल की कुछ शर्तें हैं जैसे की
पहली शर्त – महल में चार कोने हैं जिसमे से तुम सिर्फ एक ही कोना देख सकते हो।
दूसरी शर्त – महल के अंदर जो कुछ भी देखोगें उसे उसके विस्तार सहित समझाना होगा ।
तीसरी शर्त -अगर तुम नही बता पाए तो तुम्हे बंदी बना लिया जायेगा ।
चारो भाईओ ने शर्त का स्वीकार करते हुए महल में अलग अलग दिशा में प्रस्थान किया
भीम पूर्व दिशा में गए अर्जुन पश्चिम ,नकुल उत्तर दिशा और सहदेव दक्षिण दिशा में गए
चारो भाई अंदर का नजारा देखकर वापस आते हे तब दरबान बने शनिदेव उससे पूछते हैं बताओं तुमने अंदर क्या देखा? चारोभाई विस्तार सहित (भीम,सहदेव नकुल और अर्जुन) उत्तर देने में असफल रेह्ते हे इसलिए शर्त के अनुसार चारो भाईओ को बंदी बनना पड़ता हे
चारों भाई बहुत देर से नहीं आये तब युधिष्ठिर को चिंता हुई और वह भी द्रोपदी सहित महल में गए।
युधिष्ठिर ने दरबान बने शनिदेव से उनके भाइयों के लिए पूछा तब दरबान ने बताया की वह शर्त अनुसार बंदी है अगर आप उनकी और से सही उत्तर दे सकते हे तो उन्हें छोड़ दिया जायेगा
युधिष्ठिर ने शर्त का स्वीकार किया, युधिष्ठिर ने सबसे पेहले बंदी बने भीम से पूछा, आपने पूर्व दिशा में क्या देखा तब भीम ने कहा भैया मेने पूर्व दिशा में बहुत ही सुंदर पशु, पक्षी ,फलों और फूलों से भरे पेड आदि देखें, जो कि आज से पहले कभी नही देखे थे, वो तो समज में आता हे किन्तु आगे बहुत ही अजीब नज़ारा देखा । भीम ने कहा की वहां तीन कुएं थे जिसमे एक कुआँ बड़ा था और दो छोटे थे जब बड़े कुएं का पानी उछलता था तो बराबर के दोनों छोटे कुएं भर जाते थे लेकिन जब दोनों छोटे कुएं में पानी उछलता था तो बड़े कुएं का पानी आधा ही रह जाता था ये समज में नहीं आया
युधिष्ठिर ने कहा - यह सब कलियुग में होने वाला है एक बाप दो बेटों का पेट तो भर देगा परन्तु दो बेटे मिलकर भी एक बाप का पेट नहीं भर पाएंगे। जैसे ही युधिष्ठिर ने जवाब दिया भीम को छोड़ दिया गया।
उसके बाद युथिष्ठिर ने बंदी बने अर्जुन से पूछा - अर्जुन ने कहा मेने पश्चिम की और एक खेत में एक तरफ मक्के की और दूसरी तरफ बाजरे की फसल देखि लेकिन अजीब तो यह था की मक्के के पौधों से बाजरे का फल निकल रहा था और बाजरे के पौधे से मक्के का।
युधिष्ठिर ने कहा – यह भी कलयुग में होने वाला हैं इसका अर्थ हैं वंश परिवर्तन अर्थात ब्राह्मण के घर शुद्र कि लड़की और शुद्र के घर ब्राह्मण की लड़की कि शादी होगी। अर्जुन के सवाल का जवाब युधिष्ठिर से सुन उसे भी छोड़ दिया गया।
अब युधिष्ठिर ने बंदी बने नकुल से पूछा, नकुल ने कहा भैया मेने उत्तर दिशा की और देखा कि बहुत सारी सफ़ेद गायें अपनी बछियों के साथ वहां घूम रही थी लेकिन जब गायों को भूख लगती थी तो वह अपनी बछियों का दूध पी रही थी जो की बहुत ही अजीब था
युधिष्ठिर ने कहा- कलयुग में माताएं बेटी के घर में रहकर उन्हीं का अन्न खाएँगी क्योंकि बेटे माँ बाप कि सेवा नहीं करेंगे और उन्हें त्याग देंगे | जैसे ही युधिष्ठिर ने जवाब दिया नकुल को भी छोड़ दिया गया।
अन्तमे युधिष्ठिर ने सहदेव पूछा - सहदेव ने कहा भैया मेने एक बड़ी सोने की शिला देखि जो चांदी के एक सिक्के पर टिकी हुई थी जो की डगमग हिल रही थी फिर भी गिरती नहीं थी ।
युधिष्ठिर बोले - कलियुग में पाप धर्म को दबाता रहेगा फिर भी धर्म जिंदा रहेगा खत्म नहीं होगा।। युधिष्ठिर का जवाब सुनकर सहदेव को भी छोड़ दिया जाता हे
ये सारी बात सुनकर युधिठिर ने दरबान को प्रणाम करते हुए कहा हे महात्मन में जान गया हु की आप दरबान नहीं हो कृपया आप हमे आपका वास्तविक परिचय दे
तत्पश्चात शनि देव अपने असल स्वरुप में प्रकट हुए, और युधिष्ठिर कि प्रशंसा करते हुए कहा कि युधिष्ठिर मैं तुम पाँचो भाइयों कि परीक्षा लेने आया था
शनिदेव ने कहा, युधिष्ठिर तुमने सही उत्तर देते हुए भविष्य के समाज का रेखाचित्र भी प्रस्तुत कर दिया है कि कलयुग में जीव का स्वभाव कैसा होगा। अंतमे शनिदेव ने युधिष्ठिर से वरदान माँगने को कहा।
युधिष्ठिर ने शनिदेव से कहा कि प्रभु यदि आप मुझसे प्रसन्न है तो मुझे ये वरदान दीजिये कि, कलयुग में जो भी श्रीहरि (नारायण) कि पूजा और भक्ति पुरे भाव से करेगा। उसके घर में कभी कलिकाल का प्रवेश नहीं हो पाये।
शनिदेव "तथास्तु" कहते हुए अंतर्ध्यान हो गये, फिर पाँचो पाण्डव घने वन कि और प्रस्थान कर गये।
आज के इस कलयुग में ये सारी बातें सच भी साबित हो रही है, साथ ही साथ यह भी सच है कि जिस भी घर में नारायण कि पूजा और भक्ति विद्यमान है वहाँ सदैव नारायण का वास होता है।
अचानक भीम,सहदेव नकुल और अर्जुन की नजर महल पर पड़ी। महल का सूंदर नजारा देख वह आकर्षित हो उठे ।
तत्पचात चारो भाई युधिष्ठिर की अनुमति लेकर महल देखने गए
जब चारो भाई महल के द्वार पर पहुंचे तब शनिदेव वहा दरबान के रूप में खड़े थे,
चारो भाईओ ने कहा, हमे महल देखना है…इसपर दरबान बने शनिदेव ने कहा-इस महल की कुछ शर्तें हैं जैसे की
पहली शर्त – महल में चार कोने हैं जिसमे से तुम सिर्फ एक ही कोना देख सकते हो।
दूसरी शर्त – महल के अंदर जो कुछ भी देखोगें उसे उसके विस्तार सहित समझाना होगा ।
तीसरी शर्त -अगर तुम नही बता पाए तो तुम्हे बंदी बना लिया जायेगा ।
चारो भाईओ ने शर्त का स्वीकार करते हुए महल में अलग अलग दिशा में प्रस्थान किया
भीम पूर्व दिशा में गए अर्जुन पश्चिम ,नकुल उत्तर दिशा और सहदेव दक्षिण दिशा में गए
चारो भाई अंदर का नजारा देखकर वापस आते हे तब दरबान बने शनिदेव उससे पूछते हैं बताओं तुमने अंदर क्या देखा? चारोभाई विस्तार सहित (भीम,सहदेव नकुल और अर्जुन) उत्तर देने में असफल रेह्ते हे इसलिए शर्त के अनुसार चारो भाईओ को बंदी बनना पड़ता हे
चारों भाई बहुत देर से नहीं आये तब युधिष्ठिर को चिंता हुई और वह भी द्रोपदी सहित महल में गए।
युधिष्ठिर ने दरबान बने शनिदेव से उनके भाइयों के लिए पूछा तब दरबान ने बताया की वह शर्त अनुसार बंदी है अगर आप उनकी और से सही उत्तर दे सकते हे तो उन्हें छोड़ दिया जायेगा
युधिष्ठिर ने शर्त का स्वीकार किया, युधिष्ठिर ने सबसे पेहले बंदी बने भीम से पूछा, आपने पूर्व दिशा में क्या देखा तब भीम ने कहा भैया मेने पूर्व दिशा में बहुत ही सुंदर पशु, पक्षी ,फलों और फूलों से भरे पेड आदि देखें, जो कि आज से पहले कभी नही देखे थे, वो तो समज में आता हे किन्तु आगे बहुत ही अजीब नज़ारा देखा । भीम ने कहा की वहां तीन कुएं थे जिसमे एक कुआँ बड़ा था और दो छोटे थे जब बड़े कुएं का पानी उछलता था तो बराबर के दोनों छोटे कुएं भर जाते थे लेकिन जब दोनों छोटे कुएं में पानी उछलता था तो बड़े कुएं का पानी आधा ही रह जाता था ये समज में नहीं आया
युधिष्ठिर ने कहा - यह सब कलियुग में होने वाला है एक बाप दो बेटों का पेट तो भर देगा परन्तु दो बेटे मिलकर भी एक बाप का पेट नहीं भर पाएंगे। जैसे ही युधिष्ठिर ने जवाब दिया भीम को छोड़ दिया गया।
उसके बाद युथिष्ठिर ने बंदी बने अर्जुन से पूछा - अर्जुन ने कहा मेने पश्चिम की और एक खेत में एक तरफ मक्के की और दूसरी तरफ बाजरे की फसल देखि लेकिन अजीब तो यह था की मक्के के पौधों से बाजरे का फल निकल रहा था और बाजरे के पौधे से मक्के का।
युधिष्ठिर ने कहा – यह भी कलयुग में होने वाला हैं इसका अर्थ हैं वंश परिवर्तन अर्थात ब्राह्मण के घर शुद्र कि लड़की और शुद्र के घर ब्राह्मण की लड़की कि शादी होगी। अर्जुन के सवाल का जवाब युधिष्ठिर से सुन उसे भी छोड़ दिया गया।
अब युधिष्ठिर ने बंदी बने नकुल से पूछा, नकुल ने कहा भैया मेने उत्तर दिशा की और देखा कि बहुत सारी सफ़ेद गायें अपनी बछियों के साथ वहां घूम रही थी लेकिन जब गायों को भूख लगती थी तो वह अपनी बछियों का दूध पी रही थी जो की बहुत ही अजीब था
युधिष्ठिर ने कहा- कलयुग में माताएं बेटी के घर में रहकर उन्हीं का अन्न खाएँगी क्योंकि बेटे माँ बाप कि सेवा नहीं करेंगे और उन्हें त्याग देंगे | जैसे ही युधिष्ठिर ने जवाब दिया नकुल को भी छोड़ दिया गया।
अन्तमे युधिष्ठिर ने सहदेव पूछा - सहदेव ने कहा भैया मेने एक बड़ी सोने की शिला देखि जो चांदी के एक सिक्के पर टिकी हुई थी जो की डगमग हिल रही थी फिर भी गिरती नहीं थी ।
युधिष्ठिर बोले - कलियुग में पाप धर्म को दबाता रहेगा फिर भी धर्म जिंदा रहेगा खत्म नहीं होगा।। युधिष्ठिर का जवाब सुनकर सहदेव को भी छोड़ दिया जाता हे
ये सारी बात सुनकर युधिठिर ने दरबान को प्रणाम करते हुए कहा हे महात्मन में जान गया हु की आप दरबान नहीं हो कृपया आप हमे आपका वास्तविक परिचय दे
तत्पश्चात शनि देव अपने असल स्वरुप में प्रकट हुए, और युधिष्ठिर कि प्रशंसा करते हुए कहा कि युधिष्ठिर मैं तुम पाँचो भाइयों कि परीक्षा लेने आया था
शनिदेव ने कहा, युधिष्ठिर तुमने सही उत्तर देते हुए भविष्य के समाज का रेखाचित्र भी प्रस्तुत कर दिया है कि कलयुग में जीव का स्वभाव कैसा होगा। अंतमे शनिदेव ने युधिष्ठिर से वरदान माँगने को कहा।
युधिष्ठिर ने शनिदेव से कहा कि प्रभु यदि आप मुझसे प्रसन्न है तो मुझे ये वरदान दीजिये कि, कलयुग में जो भी श्रीहरि (नारायण) कि पूजा और भक्ति पुरे भाव से करेगा। उसके घर में कभी कलिकाल का प्रवेश नहीं हो पाये।
शनिदेव "तथास्तु" कहते हुए अंतर्ध्यान हो गये, फिर पाँचो पाण्डव घने वन कि और प्रस्थान कर गये।
आज के इस कलयुग में ये सारी बातें सच भी साबित हो रही है, साथ ही साथ यह भी सच है कि जिस भी घर में नारायण कि पूजा और भक्ति विद्यमान है वहाँ सदैव नारायण का वास होता है।
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