समुद्र मंथन कथा | भगवान विष्णु की वामन अवतार कथा
समुद्र मंथन से निकले अमृत को भगवान विष्णु मोहिनी रूप में सभी देवताओं और असुरों में बराबर बाटने के लिए आते हैं। अमृत पीकर जब देवता और असुरों के बीच युध होता है तो राजा बलि की भी मृत्य हो जाती है। दैत्य गुरु शुक्राचार्य अपनी संजीवनी विद्या से सभी असुरों को पुनर जीवित कर देते हैं।उसके पश्चात राजा बलि गुरु शुक्राचार्य के आदेश से 100 यज्ञ करते हैं ताकि इंद्र के स्वर्ग पर उनका हो सके। जब राजा बलि के 99 यज्ञ पूरे हो चुके थे तो उसके 100 यज्ञ पूरे ना होने पाए इसके लिए विष्णु भगवान वामन अवतार में राजा बलि की पास आते हैं और उनसे भिक्षा माँगते हैं।
भगवान वामन की भिक्षा माँगने पर गुरु शुक्राचार्य राजा बाली के बताते हैं की ये भगवान विष्णु का रूप हैं जिन्होंने देवी अदिति की नभि से जनम लिया है ताकि तुमसे तुम्हारा सब कुछ तीन पग में तुमसे माँग सके।
श्रीकृष्णा, रामानंद सागर द्वारा निर्देशित एक भारतीय टेलीविजन धारावाहिक है। मूल रूप से इस श्रृंखला का दूरदर्शन पर साप्ताहिक प्रसारण किया जाता था।
यह धारावाहिक कृष्ण के जीवन से सम्बंधित कहानियों पर आधारित है। गर्ग संहिता , पद्म पुराण , ब्रह्मवैवर्त पुराण अग्नि पुराण, हरिवंश पुराण , महाभारत , भागवत पुराण , भगवद्गीता आदि पर बना धारावाहिक है सीरियल की पटकथा, स्क्रिप्ट एवं काव्य में बड़ौदा के महाराजा सयाजीराव विश्वविद्यालय के हिन्दी विभाग के अध्यक्ष डॉ विष्णु विराट जी ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
इसे सर्वप्रथम दूरदर्शन के मेट्रो चैनल पर प्रसारित 1993 को किया गया था जो 1996 तक चला, 221 एपिसोड का यह धारावाहिक बाद में दूरदर्शन के डीडी नेशनल पर टेलीकास्ट हुआ, रामायण व महाभारत के बाद इसने टी आर पी के मामले में इसने दोनों धारावाहिकों को पीछे छोड़ दिया था
निर्माता - रामानन्द सागर / सुभाष सागर / प्रेम सागर
Directed - Ramanand Sagar / Aanand Sagar / Moti Sagar
निर्देशक - रामानन्द सागर / आनंद सागर / मोती सागर
Chief Asst. Director - Yogee Yogindar
मुख्य सहायक निर्देशक - योगी योगिंदर
Asst. Directors - Rajendra Shukla / Sridhar Jetty / Jyoti Sagar
सहायक निर्देशक - राजेंद्र शुक्ला / सरिधर जेटी / ज्योति सागर
Screenplay & Dialogues - Ramanand Sagar
पटकथा और संवाद - संगीत - रामानन्द सागर
Camera - Avinash Satoskar
कैमरा - अविनाश सतोसकर
Music - Ravindra Jain
संगीत - रविंद्र जैन
Lyrics - Ramanand Sagar
गीत - रामानन्द सागर
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