गोपियों के वस्त्र हरण - Shree Krishna Leela Ramanand Sagar
श्री कृष्ण से राधा जब मिलने के लिए अपनी पिता के साथ आती हैं तो वो दोनों बाहर खेलने के लिए आ जाते हैं, यमुना के किनारे दोनो एक दूसरे से बातें करते हुए।
नारद मुनि जी श्री कृष्ण और राधा के बाल स्वरूप के दर्शन करने आते हैं। अगले दिन एक बुजुर्ग फल वाली गोकुल में फल बेचते हुए नंदराय के घर आजाती है श्री कृष्ण उनसे फल माँगते हैं तो फल वाली श्री कृष्ण से फलों का मोल माँगती है तो कृष्ण उनसे फल के मोल में उनकी गोद में बैठकर उन्हें मातृत्व का आनंद देते हैं।
Bal Krishna Leela Ramanand Sagar
और फिर श्री कृष्ण उन्हें एक मथी धान भी लाकर देते हैं जो लाते लाते रस्ते में बिखर जाते हैं और सिर्फ़ कुछ ही दाने उनके हाथ में बचते हैं तो फल वाली वही कुछ दाने लेकर प्रसन्न होते हुए सारे फल श्री कृष्ण को देकर चली आती हैं। जब वह फल वाली अपने घर पहुँचती हैं तो उसकी टोकरी में धान के दोनों की जगह हीरे मोती से भरे होते हैं। श्री कृष्ण का मित्र मनसुखा उन्हें बताता है की गोपियाँ श्री कृष्ण से मित्रता वापस से करने की बात कर रही थी
तो श्री कृष्ण को यक़ीन नहीं होता की कहीं वो फिर से मैया यशोदा को हमारी शिकायत तो नहीं करेंगी इसके लिए वो अपने मित्रों के साथ उन गोपियों के वस्त्र उठा कर पेड़ पर बैठ जाते हैं जब वह सब स्नान के लिए नदी में होती हैं। जब वो कान्हा से कपड़े माँगती हैं
तो श्री कृष्ण उनके सामने अपनी शर्त सामने रखते हैं की वो कभी भी उनकी शिकायत यशोदा मैया से नहीं करेंगी, प्रति दिन हम सबके लिए माखन लाना होगा और फिर कभी निर्वस्तर होकर नदी में स्नान नहीं करेंगी।
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