Breaking

Home ads

शनिवार, 21 अक्टूबर 2017

Shri ram chandra kripalu bhajman Lyrics | श्री रामचन्द्र कृपालु

Shri ram chandra kripalu bhajman - श्री रामचन्द्र कृपालु - श्री राम स्तुति:

श्री राम नवमी, विजय दशमी, सुंदरकांड, रामचरितमानस कथा, श्री हनुमान जन्मोत्सव और अखंड रामायण के पाठ में प्रमुखता से वाचन किया जाने वाली वंदना। ” श्री रामचंद्र कृपालु भजमन ” अथवा ” श्री राम स्तुति ” विनय पत्रिका में ही श्री राम जी की महिमा पर लिखी गयी रचना है। 
Shri ram chandra kripalu bhajman Lyrics
श्रीरामचन्द्र कृपालु भजु मन हरण भवभय दारुणम् .
नवकञ्ज लोचन कञ्ज मुखकर कञ्जपद कञ्जारुणम् .

भावार्थ- हे मेरे मन (कृपा करनेवाले, दया करनेवाले) तु कृपालु श्रीरामचंद्रजी का भजन कर, वे संसार के जन्म-मरणरूप दारुण भय को दूर करने वाले हैं, उनके नेत्र नव-विकसित कमल के सामान हैं, मुख-हाथ और चरण भी लाल कमल के सदृश हैं ।

कंदर्प अगणित अमित छबि नव नील नीरज सुन्दरम् .
पटपीत मानहुं तड़ित रुचि सुचि नौमि जनक सुतावरम् .

भावार्थ-उनके सौन्दर्य की छ्टा अगणित कामदेवों से बढ़कर है। उनके शरीर का नवीन नील-सजल मेघ के जैसा सुन्दर वर्ण है। पीले वस्त्रों में मेघरूप शरीर मानो बिजली के समान चमक रहा है। ऐसे पावनरूप जानकीपति श्रीरामजी को मैं नमस्कार करता हूँ।

भजु दीन बन्धु दिनेश दानव दैत्यवंशनिकन्दनम् .
रघुनन्द आनंदकंद कोशल चन्द दशरथ नन्दनम् ..

भावार्थ-उनके सौन्दर्य की छ्टा अगणित कामदेवों से बढ़कर है। उनके शरीर का नवीन नील-सजल मेघ के जैसा सुन्दर वर्ण है। पीले वस्त्रों में मेघरूप शरीर मानो बिजली के समान चमक रहा है। ऐसे पावनरूप जानकीपति श्रीरामजी को मैं नमस्कार करता हूँ।

सिर मुकुट कुण्डल तिलक चारु उदार अङ्ग विभूषणम् .
आजानुभुज सर चापधर सङ्ग्राम जित खरदूषणम् .. 

भावार्थ-जिनके मस्तक पर रत्नजड़ित मुकुट, कानों में कुण्डल, मस्तक पर सुंदर तिलक, और प्रत्येक अंग मे सुन्दर आभूषण सुशोभित हो रहे हैं। जिनकी भुजाएँ घुटनों तक लम्बी हैं। जो धनुष-बाण लिये हुए हैं, जिन्होनें संग्राम में खर-दूषण को जीत लिया है।

इति वदति तुलसीदास शङ्कर शेष मुनि मनरञ्जनम् .
मम हृदयकञ्ज निवास कुरु कामादिखलदलमञ्जनम् ..

भावार्थ-जो शिव, शेष और मुनियों के मन को प्रसन्न करने वाले और काम, क्रोध, लोभादि शत्रुओं का नाश करने वाले हैं, तुलसीदास प्रार्थना करते हैं कि वे श्रीरघुनाथजी मेरे हृदय कमल में सदा निवास करें।

छंद :

मनु जाहिं राचेऊ मिलिहि सो बरु सहज सुंदर सांवरों ।
करुना निधान सुजान सिलु सनेहु जानत रावरो ॥6॥

एही भांती गौरी असीस सुनि सिय सहित हिय हरषी अली ।
तुलसी भवानी पूजि पूनि पूनि मुदित मन मंदिर चली ॥7॥

॥सोरठा॥

जानि गौरी अनुकूल सिय हिय हरषु न जाइ कहि ।
मंजुल मंगल मूल बाम अंग फरकन लगे ॥


Shri ram chandra kripalu bhajman Lyrics in English

Shree Ram Chandra Kripalu Bhaju Mana
Harana Bhavabhaya Daarunam
NavaKanj Lochana Kanjamukh Kara Kanjapada 
Kanjaarunam Shree Ram Chandra…

Kandarpa Aganeeta Ameeta Chabi Nava Neela Neeraja 
Sundaram Patapeeta Maanahum Tarita Ruchi-Suchi 
Navmi Janaka Sutaavaram Shree Ram Chandra Kripalu 
Bhaju Mana Harana Bhavabhaya Daarunam

Bhaju Deena Bandhu Dinesha Daanava Daitya-
Vansha-Nikandam Raghunanda Aanandkanda 
Kaushala Chanda Dasharatha Nandanam
Shree Ram Chandra Kripalu Bhaju Mana
Harana Bhavabhaya Daarunam

Sira Mukuta Kundala Tilaka Chaaru Udaaru Anga Vibhushanam
Aajaanubhuj Sar Chapadhara Sangraama-Jita-Khara Dushnam
Shree Ram Chandra Kripalu Bhaju Mana
Harana Bhavabhaya Daarunam

Iti Vadati Tulsidaasa Shankara Sheesh Muni Manaranjanam
Mama Hridayakanja Nivaasa Kuru Kaamaadi Khaladalaganjanam
Shree Ram Chandra Kripalu Bhaju Mana
Harana Bhavabhaya Daarunam

श्री राम चंद्र कृपालु भजमन Shri Ram Chandra Kripalu with Lyrics I SURESH WADKAR





कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

foot ads