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मंगलवार, 27 फ़रवरी 2018

श्री हरि आरती - जय जगदीश हरे | Om Jai Jagdish Hare

ओम जय जगदीश हरे आरती सबसे ज्यादा लोकप्रिय हे पं. श्रद्धाराम फिल्लौरी द्वारा सन् १८७० में लिखी गई थी। यह आरती मूलतः श्री हरि को समर्पित है फिर भी इस आरती को किसी भी पूजा, उत्सव पर गाया जाता हैं।

 
Om Jai Jagdish Hare

विष्णु भगवान की आरती - ॐ जय जगदीश हरे


ॐ जय जगदीश हरे, स्वामी जय जगदीश हरे
भक्त जनोंके संकट , क्षणमें दूर करे ||

जो ध्यावे फल पावे, दुख बिनसे मनका .स्वामी दुख बिनसे मनका .
सुख सम्पति घर आवे-२, कष्ट मिटे तनका ||

ॐ जय जगदीश हरे..

मात पिता तुम मेरे, शरण गहूं मैं किसकी .स्वामी शरण गहूं मैं किसकी.
तुम बिन और न दूजा-२, आस करूं मैं जिसकी ||

ॐ जय जगदीश हरे..


तुम पूरण परमात्मा, तुम अंतरयामी . स्वामी तुम अंतरयामी.
पारब्रह्म परमेश्वर-२, तुम सब के स्वामी ||

ॐ जय जगदीश हरे..

तुम करुणा के सागर, तुम पालनकर्ता . स्वामी तुम पालनकर्ता.
मैं सेवक तुम स्वामी-२, कृपा करो भर्ता ||

ॐ जय जगदीश हरे..

तुम हो एक अगोचर, सबके प्राणपति . स्वामी सबके प्राणपति.
किस विधि मिलूं दयामय-२, तुमको मैं कुमति ||

ॐ जय जगदीश हरे..

दीनबंधु दुखहर्ता, तुम रक्षक मेरे . स्वामी तुम रक्षक मेरे.
करुणा हाथ बढाओ-२, द्वार पडा तेरे ||

ॐ जय जगदीश हरे..

विषय विकार मिटाओ, पाप हरो देवा .स्वामी पाप हरो देवा .
श्रद्धा भक्ति बढाओ-२, संतन की सेवा ||
ॐ जय जगदीश हरे..

निष्कर्ष :

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धन्यवाद ! 🙏 हर हर महादेव 🙏

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