क्या कर्मो का फल मिलता है ? - Law of karma
दोस्तों देर सवेर कर्म का फल कर्ता को भोगना ही पड़ता है। चाहे वो कोई मनुष्य हो या प्राणी अतः कर्म करने में हमेशा सावधान रहना चाहिए। कर्म का विधान अटल हे जो जैसा कर्म कर्ता हे उनको वैसा ही फल मिलता हे इस बात को समझने के लिए एक छोटीसी कहानी से सीख लेंगे
एक व्यक्ति सुबह सुबह ऑफिस जा ने के लिए घर से निकले और कार का दरवाजा खोल के जैसे ही कार में बैठने वाला था की उनका पेर निचे बैठे कुत्ते की पूछ पर पड़ता हे और पूछ पर पेर पड़ने से कुत्ता उस आदमी को काट खाता है।
गुस्से में आकर वह आदमी आसपास पड़े कुछ पत्थर कुत्ते की ओर फेंकता हे लेकिन किस्मत से एक भी पत्थर उस कुत्ते को नहीं लगता हे और कुत्ता वहा से भाग जाता हे
वह व्यक्ति डॉक्टर से अपना इलाज करवाकर ऑफिस जाते हे और कुत्ते पर आया उनका सारा गुस्सा उन बिचारे कर्मचारियों पर निकालता हे जिनकी कोई गलती ही नहीं थी
कर्मचारी अपना गुस्सा उनके निचे काम करने वालों पर निकालता हे वैसे ही क्रम चलता जाता हे और अंत में ये गुस्सा पियून तक पोहचता हे
जो मन ही मन बड़बड़ाते हुए घर चला जाता है। और हमेशा की तरह उनकी पत्नी पूछती है “आज फिर देर हो गई आने में………….” अब वो पयूं ग़ुस्सेमे आकर कहता है “मै क्या ऑफिस खेलने जाता हूँ ? काम करता हूँ, दिमाग मत खराब करो मेरा, पहले से ही पका हुआ हूँ,
अब गुस्सा होने की बारी उनकी पत्नी की थी,वह पति का गुस्सा अपने बच्चे पर उतारते हुए उसे तीन चार थप्पड़ मार देती हे अब बिचारा बच्चा जाए तो जाये कहाँ,
बिना कारण अपनी माँ की मार खाकर वह रोते रोते बाहर की और जाता हे , एक पत्थर उठाता है और सामने जा रहे कुत्ते को पूरी ताकत से मारता है। कुत्ता फिर बिलबिलाता है…..
दोस्तों ये वही सुबह वाला कुत्ता था !!! जिसने सुबह उस व्यक्ति को कांत खाया था
दोस्तों उस कुत्ते को उसके काटे के बदले ये पत्थर तो पड़ना ही था केवल समय का फेर था और सेठ जी की जगह इस बच्चे से पड़ना था !!! उसका कार्मिक चक्र तो पूरा होना ही था ना !!!
इसलिए मित्र यदि कोई आपको काट खाये, चोट पहुंचाए और आप उसका कुछ ना कर पाएँ, तो निश्चिंत रहें, उसे चोट तो लग के ही रहेगी, बिलकुल लगेगी, जो आपको चोट पहुंचाएगा,
उस का तो चोटिल होना निश्चित ही है,कब होगा किसके हाथों होगा ये केवल ऊपरवाला जानता है पर होगा ज़रूर और यही तो सृष्टी का नियम है !!!
वह व्यक्ति डॉक्टर से अपना इलाज करवाकर ऑफिस जाते हे और कुत्ते पर आया उनका सारा गुस्सा उन बिचारे कर्मचारियों पर निकालता हे जिनकी कोई गलती ही नहीं थी
कर्मचारी अपना गुस्सा उनके निचे काम करने वालों पर निकालता हे वैसे ही क्रम चलता जाता हे और अंत में ये गुस्सा पियून तक पोहचता हे
जो मन ही मन बड़बड़ाते हुए घर चला जाता है। और हमेशा की तरह उनकी पत्नी पूछती है “आज फिर देर हो गई आने में………….” अब वो पयूं ग़ुस्सेमे आकर कहता है “मै क्या ऑफिस खेलने जाता हूँ ? काम करता हूँ, दिमाग मत खराब करो मेरा, पहले से ही पका हुआ हूँ,
अब गुस्सा होने की बारी उनकी पत्नी की थी,वह पति का गुस्सा अपने बच्चे पर उतारते हुए उसे तीन चार थप्पड़ मार देती हे अब बिचारा बच्चा जाए तो जाये कहाँ,
बिना कारण अपनी माँ की मार खाकर वह रोते रोते बाहर की और जाता हे , एक पत्थर उठाता है और सामने जा रहे कुत्ते को पूरी ताकत से मारता है। कुत्ता फिर बिलबिलाता है…..
दोस्तों ये वही सुबह वाला कुत्ता था !!! जिसने सुबह उस व्यक्ति को कांत खाया था
दोस्तों उस कुत्ते को उसके काटे के बदले ये पत्थर तो पड़ना ही था केवल समय का फेर था और सेठ जी की जगह इस बच्चे से पड़ना था !!! उसका कार्मिक चक्र तो पूरा होना ही था ना !!!
इसलिए मित्र यदि कोई आपको काट खाये, चोट पहुंचाए और आप उसका कुछ ना कर पाएँ, तो निश्चिंत रहें, उसे चोट तो लग के ही रहेगी, बिलकुल लगेगी, जो आपको चोट पहुंचाएगा,
उस का तो चोटिल होना निश्चित ही है,कब होगा किसके हाथों होगा ये केवल ऊपरवाला जानता है पर होगा ज़रूर और यही तो सृष्टी का नियम है !!!
चाहे कोई देखे या न देखे फिर भी कोई है जो हर समय देख रहा है। जिसके पास हमारे पाप-पुण्य सभी कर्मों का लेखा-जोखा है। इस दुनिया की सरकार से शायद कोई बच भी जाय किन्तु उपरवाले सरकार से आज तक न कोई बचा है और न बच पायेगा।किसी प्रकार की सिफारिश अथवा रिश्वत वहाँ काम नहीं आयेगी। उससे बचने का कोई मार्ग नहीं है। इसीलिए हर समय उचित कर्म करना अनिवार्य हे
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