रामायण की सीख - Key Learning from Ramayana
दोस्तों रामयण बचपन मे TV पर देखा करते थे अब तो यूट्यूब और कई सारे प्लेटफार्म पर भी हमे देखने को मिलता हे | लेकिन एक प्रश्न हमे अवश्य होना चाहिए की रामायण देखकर हमने क्या सीखा ?क्योकि रामायण पौराणिक ग्रंथो मे सबसे ज्यादा पढे जाने वाला ग्रन्थ है । ये सिर्फ एक धार्मिक शास्त्र नही है। ये हमे हर परिस्थति से उभार सकता है हमारी हर परेशानी और दुविधा का समाधान करता है । भक्ति के प्रकार, कौन सी गलत आदतें हमे लाइफ मे नुकसान पहुँचाती हैं, किन लोगो से हमे बचना चाहिए, हमारे रिस्ते कैसे होने चाहिए, कहा हमे सभलकर चलना जरूरी है, मानव जीवन कैसा होना चाहिए क्या आदर्श होना चाहिए किन परिस्थतियों में कैसा व्यवहार करें । ये सब सीखाती है और यही बांटे अगर हम अपने जीवन में अपनाएंगे तो हमारा जीवन भी सुख से भर जायेगा
- पहली सीख - राजा बनने जा रहे राम ने पिता के वचन अनुसार वन जाना स्वीकार किया किसीसे कोई प्रश्न नहीं किया।- ये हमे सीखाता है की जीवन मे जो भी मिले उसे नियति का निर्णय मानकर , सहर्ष स्वीकार कर लेना चाहिए ।
- सीता-राम और लक्ष्मण का वन मे संतुष्ट रहना हमे सीखाता है कि -जो व्यक्ति जीवन की किसी भी परिस्थिति मे संतुष्ट रहता है वह जीवन में कठिन से कठिन सघर्ष को जीत सकता है ।
- लक्ष्मण का कर्तव्य पालन सिखाता है कि - अपने बड़ो के प्रति प्रेम और निष्ठा रखनी किये और कठिन से कठिन परिस्थतियों का सामना करते हुए भी अपने कर्तव्य का पालन करना चाहिए
- निष्कंटक राज मिलने पर भी भरत ने उसे स्वीकार नहीं किया और राम की चरण पादुका रख कर एक सेवक की तरह सेवा की और कार्य भार भी संभाला । ये हमे सीखाता है की हमे भी उसी चीज पर अधिकार जमाना चाहिए जो नैतिक रूप से हमारी है ।
- राम - सुग्रीव मित्रता से हमे सीख मिलती है कि मित्र का धर्म है की वह मित्र को बुरे मार्ग से रोक कर अच्छे मार्ग पर चलाए, उसके गुण प्रकट करे और अवगुणो को छिपावे । मित्र ऐसे होने चाहिए जो आपकी परेशानी और दुःख को समझ सके ।
- अहंकार का त्याग करना चाहिए क्योकि रावण का अहम था - एको अहं, द्वितीयो नास्ति, न भूतो न भविष्यति! अर्थात् एक मैं ही हूं दूसरा सब मिथ्या है। न मेरे जैसा कभी कोई आया न आ सकेगा। इसी अहंकार की वजह से रावण का पतन हो जाता इससे हमे यह सीख मिलती हे की अहंकार मनुष्य के लिए सर्वनाश का मुख्य कारण होता है। जो व्यक्ति जितना अहंकार करता है उसका उतना ही जल्दी सर्वनाश होता है। इसिलए हमे अपने जीवन से अहंकार का त्याग करना चाहिए
- सीता राम और लक्ष्मण जब वन में गए तो साथ गए । जो की जरूरी नही था । इससे हमे सीख मिलती है कि किसी भी परिस्थिति में हमारी निष्ठा नहीं बदलनी चाहिए । निष्ठा और प्रेम से ही इंसान ऊचा उठता है ।
- माता शबरी सच्ची भक्ति का पाठ पढ़ा जाती हैं,धैर्य, दृढ़ संकल्प व उत्साह का उदाहरण शबरी थी । गुरु के कहने पर भगवान राम की प्रतीक्षा की और मनचाहा परिणाम भी मिला । इससे हमे यह सीख मिलती हे की अगर हम भी किसी कार्य में धैर्य,श्रद्धा और दृढ़ संकल्प बरक़रार रखेंगे तो सफलता अवश्य मिलेगी
- भगवान राम ने कभी कोई भेदभाव नहीं किया। उनकी नजर में सब एक समान थे। केवट और माता शबरी ही नहीं, पशुओं के साथ भी करुणा थी जो हमे सिखाती हे की हमे जीवन में कभी भी छोटे-बड़े, अमीर-गरीब के जाती एवं धर्म का भेदभाव नहीं करना चाहिए
दोस्तों यदि हम इन गुणों को थोड़ा भी अपना लें, तो खुशहाल और संतुष्ट जीवन जी सकते हैं।
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