अच्छे कर्म का अच्छा फल और बुरे कर्म का बुरा फल
दोस्तों हम सब इस दुनिया में इसलिए आते हैं, क्योंकि हमें किसी से लेना होता है तो किसी का देना होता है । इस बात को समझने के लिए एक कहनी से प्रेरणा लेंगेएक नगर में एक राजा रहता था वो बहुत ही दयालु था धर्म कर्म में यकींन करने वाला था उनके पास जो भी व्यक्ति उधार मांगने आता, वे उसे मना नहीं करता था राजा ने ये काम अपने एक विशवाशु मंत्री को दिया था जो भी व्यक्ति उधार मांगने आता था मंत्री उससे एक ही सवाल पूछता था कि भाई ! तुम उधार कब लौटाओगे ? इस जन्म में या फिर अगले जन्म में?
जो लोग ईमानदार होते वो कहते -राजाजी ! हम तो इसी जन्म में आपका कर्ज़ चुकता कर देंगे ।और कुछ लोग जो ज्यादा चालक एवं बेईमान होते वे कहते – राजा जी ! हम आपका कर्ज़ अगले जन्म में उतारेंगे । अगले जन्म में उधार वापसी की शर्त से कुछ लोग राजा को मूर्क समजते थे और अपनी चालाकी पर खुस होते थे
एक दिन एक लुटारु ने यह बात सुनी और वह राजा के पास उधार मांगने पहुँचा । उसे मालूम था कि राजा अगले जन्म तक के लिए रकम उधार दे देता है । उसका मकसद उधार लेने से अधिक राजा की तिजोरी को देखना था । अब लुटारु ने राजा से कुछ रुपये उधार मांगे, राजा ने मंत्री को बुलाकर उधार देने को कहा । मंत्री ने लुटारु से पूछा – भाई ! इस जन्म में लौटाओगे या अगले जन्म में ? लुटारु ने कहा – मंत्री जी ! मैं यह रकम अगले जन्म में लौटाऊँगा ।
मंत्री ने तिजोरी खोलकर उसे पैसे दे दिए । लुटारु ने भी तिजोरी देख ली और तय कर लिया कि इस मूर्ख राजा की तिजोरी रात में लूटकर चला जाऊंगा । वो रात में ही राजा के घर पहुँच गया और वहीं गायो के तबेले में छिपकर राजा के सोने का इन्तजार करने लगा । अचानक वो लुटारु ने सुना कि गाये आपस में बातें कर रही हैं और वह लुटारु गायो की भाषा ठीक से समझ पा रहा है ।
एक गाय ने दूसरी से पूछा – तुम तो आज ही आई हो ना | उस गाय ने जवाब दिया – “हाँ, आज ही राजा के तबेले में आई हूँ, राजा जी का पिछले जन्म का कर्ज़ उतारना है और तुम कब से यहाँ हो उस गाय ने पलटकर पूछा तो पहले वाली गाय ने बताया – मुझे तो तीन साल हो गए हैं, बहन ! मैंने राजा जी से कर्ज़ लिया था यह कहकर कि अगले जन्म में लौटाऊँगी । राजा से उधार लेने के बाद जब मेरी मृत्यु हो गई तो मैं गाय बन गई और राजा के तबेले में चली आयी । अब दूध देकर उसका कर्ज़ उतार रही हूँ । जब तक कर्ज़ की रकम पूरी नहीं हो जाती तब तक यहीं रहना होगा ।
लुटारु ने जब उन गायो की बातें सुनी तो होश उड़ गए और वहाँ बंधी गायो की ओर देखने लगा । वो समझ गया कि उधार चुकाना ही पड़ता है, चाहे इस जन्म में या फिर अगले जन्म में उसे चुकाना ही होगा । वह उल्टे पाँव राजा के घर की ओर भागा और जो कर्ज़ उसने लिया था उसे फटाफट मंत्री को लौटाकर रजिस्टर से अपना नाम कटवा लिया ।
दोस्तों इस तरह से हर व्यक्ति को कुछ न कुछ लेने-देने के हिसाब चुकाने होते हैं । और इसी कर्ज़ का हिसाब चुकता करने के लिए इस दुनिया में हर कोई अलग अलग रूप लेकर आता हे | जैसे कोई बेटा बनकर आता है तो कोई बेटी, कोई पिता तो कोई माँ, कोई पति तो कोई पत्नी,कोई मित्र तो कोई शत्रु बनकर आता है | चाहे दुःख हो या सुख हिसाब तो सबको देने ही होते हैं अच्छे कर्म का अच्छा फल और बुरे कर्म का बुरा फल। सभी को इस जन्म में नहीं तो अगले जन्म में चुकाना ही होता हे
इसी प्रकार अगर अकारण कुछ बुरा होता है तो दुखी होने की बजाय सत्य को स्वीकर करना चाहिए की जो कुछ हो रहा हे वह हमारे कर्म का ही परिणाम हे | कर्मफल से कोई नहीं बच सकता यह अटल विधान हे । आप जहाँ भी जाते हैं, जो कुछ भी करते हैं, आपके कर्म ही आपको शांतिपूर्वक देख रहे होते हैं। किसी न किसी दिन आपको आपके कर्म का फल पृथ्वी पर वहन करना ही होता है। इसिलए दोस्तों हमे कर्म करने में सावधानी रखनी आवश्यक हे
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