राधाकृष्ण | कृष्ण वाणी
जब भी प्रेम की बात आती है हम सबसे पहले मन में
एक नायक और एक नायिका का चित्रण कर लेते है,
क्यों आपके साथ भी यही होता है ना?
पर....
क्या प्रेम केवल नायक-नायिका के आकर्षण का बंधन है?
नहीं,
नहीं,
प्रेम तो परिवार से हो सकता है, माता-पिता, भाई-बहन से हो सकता है,
सखा-मित्रों से हो सकता है, देश और जन्म-भूमि के लिए हो सकता है,
मानवता के लिए हो सकता है, किसी कला के लिए हो सकता है,
इस प्रकृति के लिए हो सकता है।
पर प्रेम कभी उस पन्ने पर नहीं लिखा जा सकता
जैसे एक भरी मटकी में और पानी आ ही नहीं सकता।
यदि प्रेम को पाना है तो मन को खाली करना होगा।
अपने मन से व्यापार हटा दो तभी प्यार मिलेगा
और मन प्रसन्न होकर बोलेगा
राधे-राधे!
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