श्रीकृष्ण के जीवन से सीख - Life lesson from Lord Krishna
दोस्तों भगवान् श्रीकृष्ण का जन्म मनुष्य के कष्टों को दूर करने और उनके कल्याण करने के लिए हुआ था
दोस्तों जन्माष्टमी के अवसर पर इस कहानी में हम भगवान श्रीकृष्ण के दिव्य गुणों को अपने जीवन में उतार ने का प्रयास करेंगे जो हमे अपने जीवन को सुखी एवं समृद्ध बनाने में मदद करेगा
दोस्तों भगवान् श्रीकृष्ण ने दुष्टों को भी अपनी गलती सुधारने का मौका दिया था क्योकि वे किसी मनुष्य को नही उसके अंदर की बुराई को मारना चाहते थे | भगवान् श्रीकृष्ण ने पृथ्वी से दुष्टों का नाश किया और मानव जाती को धर्म के मार्ग पर चलने की प्रेरणा दी
दोस्तों आइये जानते हे भगवान् श्रीकृष्ण के दिव्य गुणों के बारेमे
भगवान् श्री कृष्ण ने गीता में कहा हे की
क्यों व्यर्थ की चिंता कर रहे हो
क्यों व्यर्थ में दर रहे हो
जो हुआ वह अच्छा हुआ, जो हो रहा है वह भी अच्छा ही हो रहा है,
और जो होगा वह भी अच्छा ही होगा।
तुम्हारा क्या गया, जो तुम रोते हो?
तुम क्या लाए थे, जो तुमने खो दिया?
तुमने क्या पैदा किया था,
जो नाश हो गया? तुमने जो लिया यहीं से लिया,
जो दिया, यहीं पर दिया।
आज जो कुछ आप का है पहले किसी और का
था और भविष्य में किसी और का हो जाएगा
परिवर्तन ही संसार का नियम हे
दोस्तों यदि हम इन गुणों को अपने जीवन में अपनाएंगे तो हमारा जीवन भी सुख से भर जायेगा
दोस्तों भगवान् श्रीकृष्ण ने दुष्टों को भी अपनी गलती सुधारने का मौका दिया था क्योकि वे किसी मनुष्य को नही उसके अंदर की बुराई को मारना चाहते थे | भगवान् श्रीकृष्ण ने पृथ्वी से दुष्टों का नाश किया और मानव जाती को धर्म के मार्ग पर चलने की प्रेरणा दी
दोस्तों आइये जानते हे भगवान् श्रीकृष्ण के दिव्य गुणों के बारेमे
1 निर्बल का साथ दो :
भगवान् श्रीकृष्ण ने एक और निर्धन बाल सखा सुदामा का साथ दिया तो दूसरी और द्रोपदी के सम्मान की रक्षा की इसीलिए दोसतो भगवान श्री कृष्ण कहते हे की हंमेशा महिलाओं का सम्मान करो एवं निर्बल व्यक्ति का सहारा बनो
2 . सरल जीवन जीयो
भगवान् श्रीकृष्ण कहते हे की व्यक्तिगत जीवन में हमेशा सहज एवं सरल बने रहो। बड़े होकर जब वे मथुरा चले गए, तब महल में रहते हुए भी उनमें राज-घराने का कोई घमंड ना आया।
3 अपने अहंकार को छोड़ो :
जिस तरह शक्ति संपन्न होने पर भी भगवान् श्रीकृष्ण को न तो युधिष्ठिर का दूत बनने में संकोच हुआ और न ही अर्जुन का सारथी बनने में।
4 . हार मत मानो
भगवान श्री कृष्ण ने कहा था कि यह जीवन भी एक युद्ध ही है. जहाँ रोज हमको लड़ना है और जीतना है.हमें कभी भी किसी से हार नहीं माननी चाहिए। अंत तक प्रयास करते रहना चाहिए, भले ही परिणाम हमें हार के रूप में मिले। किंतु अगर हम प्रयास ही नहीं करेंगे, तो वह हमारी असली हार होगी।
5 जीवन में उदारता रखें :
उदारता व्यक्तित्व को संपूर्ण बनाती है। श्रीकृष्ण ने जहां तक हो सका शांति के प्रस्ताव रखकर ही परिस्थितियों को सुधारने का प्रयास किया, लेकिन जहां जरूरत पड़ी वहां सुदर्शन चक्र उठाने में भी उन्होंने संकोच नहीं किया।
6 दोस्ती से बड़ा अनमोल रत्न कोई नहीं
कृष्ण और सुदामा की दोस्ती को कौन नहीं जानता? उन्होंने वर्षों बाद अपने महल की चौखट पर आए गरीब सुदामा को भी अपने गले से लगाया।भगवान् कृष्ण ने जैसे ही जाना अपने मित्र सुदामा की गरीबी को तो वो तीनों लोक अपने मित्र के नाम कर दिया. अपने मित्र सुदामा को लेने नंगे पाँव घर के बाहर आये और अपनी गद्दी पर बिठाकर उनका सम्मान किया.
7 . माता-पिता का आदर करो
भगवान् श्रीकृष्ण ने अपने माता पिता का आदर और सम्मान करने में कोई कसर नहीं छोड़ी। उनके अनुसार, एक मां जो जन्म दे या जो पालन-पोषण करे, दोनों में कोई अंतर नहीं। मां तो मां होती है और माता-पिता से अनमोल दुनिया में और कुछ नहीं है।
8 सदैव खुश रहो -
भगवान् श्री कृष्ण ने गीता में कहा हे की
क्यों व्यर्थ की चिंता कर रहे हो
क्यों व्यर्थ में दर रहे हो
जो हुआ वह अच्छा हुआ, जो हो रहा है वह भी अच्छा ही हो रहा है,
और जो होगा वह भी अच्छा ही होगा।
तुम्हारा क्या गया, जो तुम रोते हो?
तुम क्या लाए थे, जो तुमने खो दिया?
तुमने क्या पैदा किया था,
जो नाश हो गया? तुमने जो लिया यहीं से लिया,
जो दिया, यहीं पर दिया।
आज जो कुछ आप का है पहले किसी और का
था और भविष्य में किसी और का हो जाएगा
परिवर्तन ही संसार का नियम हे
दोस्तों यदि हम इन गुणों को अपने जीवन में अपनाएंगे तो हमारा जीवन भी सुख से भर जायेगा
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