राधाकृष्ण | कृष्ण वाणी
हम में ऐसा कोई नहीं होगा जिसने वृक्षों को नहीं देखा, वृक्षों पर इन पक्षियों का ना देखा, इनके घोंसलों को ना देखा, इन पक्षियों को अपने छोटे-छोटे बच्चों को भोजन कराते ना देखा, संसार का सबसे ममत्त्व वाला दृश्य होता है।चिड़िया दूर से अपनी चोंच में दाना भर कर लाती है, स्वयं भोजन करने में असक्षम संतान की चोंच में डालती है, स्वयं भूखी रहती है, निस्वार्थ, निश्छलता और जब संतान के पंख निकल आते है वो उसे उड़ना सिखाती है और उसके पश्चात उसे स्वतंत्र कर देती है अपना जीवन जीने के लिए, इस आकाश में उड़ान भरने के लिए और हम मनुष्य क्या करते है जिस संतान को हम पंछी की भांति पालते है, उसके पंख निकलते ही हम उसे बाँध देते है, ये सोच के कि कहीं वो दूर उड़ कर ना चली जाये।
राधे-राधे!
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें