श्री कृष्ण ने किया श्रीधर को अपंग | कगासुर का वध
वह ब्राह्मण श्रीधर अपनी तंत्र विद्या से एक दैत्या को अहवान करता है। अगले दिन वह ब्राह्मण श्रीधर गकुल की ओर निकल पड़ता है और वह पहुँचकर भिक्षा के बहाने नंद के घर में आ जाता है जहां यशोदा उसे भोजन के लिए अपने घर में बैठा लेती है।
जैसी ही यशोदा और रोहिनी भोजन लेने जाती है तो वह ब्राह्मण अपनी शक्ति से प्रकट हुई दैत्या को श्री कृष्ण की हत्या करने के लिए अहवान करता है लेकिन श्री कृष्णा उस दैत्या को मार देते हैं और उस पाखंडी ब्राह्मण को अपंग बना देते हैं। रोहिनी और यशोदा उसे देखती है तो उन्हें लगता है की वह चोर है तो वो चोर चोर चिल्लाने लगती हैं तो गोकुल वासी उसे पकड़ कर पिटने लगते हैं।
श्रीधर को अपंग
नंदराय जी उसे लोगों से बचा कर आज़ाद कर देते हैं। जब वह ब्राह्मण वापस अपने घर आता है तो उसके गुरु शुक्राचार्य आकर उसे उसकी गलती का अहसास करते हैं। नारद जी उस ब्राह्मण के पास आकर उन्हें अपना जीवन सुधारने के लिए हिमालय पर जाकर श्री हरी का जाप करने को कहते हैं।
कगासुर का वध
कंस को जब ब्राह्मण श्रीधर की हालत का पता चलता है तो वह श्री कृष्ण की हत्या हेतु कगासुर को भेजता है। श्री कृष्ण के पास जब कगासुर पहुँचता है तो श्री कृष्ण उसे भी मौत के घाट उतार देते है और उसका शव कंस के सामने जाकर गिरता है। कंस कागासुर की मृत्यु के निराश हो जाता है तभी कंस का मित्र उत्करच वहाँ पहुँच जाता है।
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