स्वयं विचार कीजिए!
भविष्य का दूसरा नाम है संघर्ष…
ह्दय में आज इच्छा होती है और यदि पूर्ण नहीं हो पाती
तो ह्दय भविष्य की योजना बनाता है
भविष्य में इच्छा पूर्ण होगी ऐसी कल्पना करता रहता है।
किंतु जीवन…
जीवन न तो भविष्य में है और न अतीत में…
जीवन तो इस क्षण का नाम हैं।
अर्थात इस क्षण का अनुभव ही जीवन का अनुभव हैं।
पर हम ये जानते हुये भी इतना सा सत्य समझ नहीं पाते।
या तो हम बीते हुये समय के स्मरणों (दु:ख के पल) को घेर कर बैठे रहते हैं।
या फिर आने वाले समय के लिए हम योजनायें बनाते रहते हैं।
और जीवन? ?
जीवन बीत जाता है। एक सत्य यदि हम ह्दय में उतार लें……
कि न हम भविष्य देख सकते हैं और न ही भविष्य निर्मित कर सकते ।
हम तो केवल धैर्य और साहस के साथ भविष्य को आलिंगन दे सकते हैं।
स्वागत कर सकते हैं भविष्य का..
तो क्या जीवन का हर पल जीवन से नहीं भर जायेगा???
स्वयं विचार कीजिए!
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