गीता सार - GEETA SAAR
जो हो रहा है, वह भी अच्छा ही हो रहा है,
और जो होगा, वह भी अच्छा ही होगा।
तुम्हारा क्या गया, जो तुम रोते हो?
तुम क्या लाए थे, जो तुमने खो दिया?
तुमने क्या पैदा किया था,
जो नाश हो गया?
तुमने जो लिया यहीं से लिया,
जो दिया, यहीं पर दिया।
आज जो कुछ आप का है,पहले किसी
और का था और भविष्य में किसी
और का हो जाएगा
परिवर्तन ही संसार का नियम हे
अहिंसा ही परम् धर्म हे और उसके साथ सत्य, क्रोध न करना, त्याग, मन की शांति, निंदा न करना दया भाव, सुख के प्रति आकर्षित न होना , बिना कारण कोई कार्य न करना , तेज, क्षमा, धैर्य, शरीर की शुद्धता, धर्म का द्रोह न करना तथा अहंकार न करना इतने गुणों को सत्व गुणी संपत्ति या दैवी संपति कहा जाता हे
'जो हुआ अच्छा हुआ, जो हो रहा है अच्छा हो रहा और जो होगा वो भी अच्छा होगा' ये श्रीमद्भगवद्गीता के किस अध्याय व श्लोक में लिखा है?
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