यह स्तोत्र Tantroktam Devisuktam in hindi देवताओं द्वारा देवी भगवती को प्रसन्न करने के लिये गाया गया था. यह सूक्त देवी माहात्म्य के अन्तर्गत दिया गया है. तन्त्रोक्त देवी सूक्त इस प्रकार है
Devi Suktam with Sanskrit Lyrics - या देवी सर्व भूतेषु With Lyrics
तंत्रोक्त देवी सूक्त का हिंदी अर्थ अर्थ गीताप्रेस गोरखपुर के द्वारा प्रकाशित दुर्गा सप्तशती से लिया गया है
Tantroktam Devi Suktam Lyrics in Sanskrit and Hindi - the meaning of Tantroktam Devi Suktam taken from geeta gorakhpur
Tantroktam devi suktam in Hindi
नमो देव्यै महादेव्यै शिवायै सततं नम:
नम: प्रकृत्यै भद्रायै नियता: प्रणता: स्म ताम ।।
देवी को नमस्कार है, महादेवी शिवा को सर्वदा नमस्कार है। प्रकृति एवं भद्रा को प्रणाम है। जगदम्बा को नियमपूर्वक नमस्कार है
रौद्रायै नमो नित्यायै गौर्यै धात्र्यै नमो नम:
ज्योत्स्नायै चेन्दुरूपिण्यै सुखायै सततं नम: ।।
रौद्रा को नमस्कार है, नित्या, गौरी एवं धात्री को बारम्बार नमस्कार है। ज्योत्स्नामयी, चन्द्ररूपिणी एवं सुखस्वरूपा देवी को सतत प्रणाम है।
कल्याण्यै प्रणतां वृध्द्यै सिद्ध्यै कुर्मो नमो नम:
नैर्ऋत्यै भूभृतां लक्ष्म्यै शर्वाण्यै ते नमो नम: ।।
शरणागतों का कल्याण करने वाली वृद्धि एवं सिद्धिरूपा देवी को बारम्बार नमस्कार है। नैऋती (राक्षसों की लक्ष्मी) राजाओं की लक्ष्मी तथा शर्वाणी (शिवपत्नी) -स्वरूपा आप जगदम्बा को बारम्बार नमस्कार है।
दुर्गायै दुर्गपारायै सारायै सर्वकारिण्यै
ख्यात्यै तथैव कृष्णायै धूम्रायै सततं नम: ।।
दुर्गा, दुर्गपारा (दुर्गम संकट से बाहर निकलने वाली), सारा (सबकी आधारभूता), सर्वकारिणी, ख्याति, कृष्णा और धूम्रादेवी को सर्वदा नमस्कार है।
अति सौम्याति-रौद्रायै नतास्तस्यै नमो नम:
नमो जगत्प्रतिष्ठायै देव्यै कृत्य नमो नम: ।।
अत्यंत सौम्य तथा अत्यंत रौद्र रूपा देवी को [मैं] नमस्कार करता हूँ, उन्हें हमारा बारम्बार प्रणाम है, जगत की आधारभूता कृति देवी को बारम्बार नमस्कार है
या देवी सर्वभूतेषु विष्णुमायेति शब्दिता
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम: ।।
जो देवी सभी प्राणियों में विष्णुमाया के रूप में कही जाती हैं, उनको नमस्कार, उनको नमस्कार, उनको बारम्बार नमस्कार है
या देवी सर्वभूतेषु चेतनेत्यभिधीयते
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम: ।।
जो देवी सभी प्राणियों में चेतना कहलाती हैं, उनको नमस्कार, उनको नमस्कार, उनको बारम्बार नमस्कार है
या देवी सर्वभूतेषु बुद्धिरूपेण संस्थिता
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम: ।।
जो देवी सभी प्राणियों में बुद्धि रूप में स्थित हैं, उनको नमस्कार, उनको नमस्कार, उनको बारम्बार नमस्कार है
या देवी सर्वभूतेषु निद्रारूपेण संस्थिता
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम: ।।
जो देवी सभी प्राणियों में निद्रा रूप में स्थित हैं, उनको नमस्कार, उनको नमस्कार, उनको बारम्बार नमस्कार है
या देवी सर्वभूतेषु क्षुधारूपेण संस्थिता
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम: ।।
जो देवी सभी प्राणियों में क्षुधा (भूख ) रूप में स्थित हैं, उनको नमस्कार, उनको नमस्कार, उनको बारम्बार नमस्कार है
या देवी सर्वभूतेषुच्छायारूपेण संस्थिता
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम: ।।
जो देवी सभी प्राणियों में छाया रूप में स्थित हैं, उनको नमस्कार, उनको नमस्कार, उनको बारम्बार नमस्कार है
या देवी सर्वभूतेषु शक्तिरूपेण संस्थिता
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम: ।।
जो देवी सभी प्राणियों में शक्ति रूप में स्थित हैं, उनको नमस्कार, उनको नमस्कार, उनको बारम्बार नमस्कार है
या देवी सर्वभूतेषु तृष्णारूपेण संस्थिता
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम: ।।
जो देवी सभी प्राणियों में तृष्णा (प्यास) रूप में स्थित हैं, उनको नमस्कार, उनको नमस्कार, उनको बारम्बार नमस्कार है
या देवी सर्वभूतेषु क्षान्तिरूपेण संस्थिता
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम: ।।
जो देवी सभी प्राणियों में क्षान्ति (क्षमा) रूप में स्थित हैं, उनको नमस्कार, उनको नमस्कार, उनको बारम्बार नमस्कार है।
या देवी सर्वभूतेषु जातिरूपेण संस्थिता
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम: ।।
जो देवी सभी प्राणियों में जाति रूप में स्थित हैं, उनको नमस्कार, उनको नमस्कार, उनको बारम्बार नमस्कार है
या देवी सर्वभूतेषु लज्जारूपेण संस्थिता
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम: ।।
जो देवी सभी प्राणियों में लज्जा रूप में स्थित हैं, उनको नमस्कार, उनको नमस्कार, उनको बारम्बार नमस्कार है
या देवी सर्वभूतेषु शान्तिरूपेण संस्थिता
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम: ।।
जो देवी सभी प्राणियों में शान्ति रूप में स्थित हैं, उनको नमस्कार, उनको नमस्कार, उनको बारम्बार नमस्कार है
या देवी सर्वभूतेषु श्रद्धारूपेण संस्थिता
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम: ।।
जो देवी सभी प्राणियों में श्रद्धा रूप में स्थित हैं, उनको नमस्कार, उनको नमस्कार, उनको बारम्बार नमस्कार है
या देवी सर्वभूतेषु शान्तिरूपेण संस्थिता
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम: ।।
जो देवी सभी प्राणियों में शांति रूप में स्थित हैं, उनको नमस्कार, उनको नमस्कार, उनको बारम्बार नमस्कार है
या देवी सर्वभूतेषु लक्ष्मीरूपेण संस्थिता
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम: ।।
जो देवी सभी प्राणियों में लक्ष्मी रूप में स्थित हैं, उनको नमस्कार, उनको नमस्कार, उनको बारम्बार नमस्कार है
या देवी सर्वभूतेषु वृत्तिरूपेण संस्थिता
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम: ।।
जो देवी सभी प्राणियों में वृत्ति (स्वभाव) रूप में स्थित हैं, उनको नमस्कार, उनको नमस्कार, उनको बारम्बार नमस्कार है
या देवी सर्वभूतेषु स्मृतिरूपेण संस्थिता
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम: ।।
जो देवी सभी प्राणियों में स्मृति रूप में स्थित हैं, उनको नमस्कार, उनको नमस्कार, उनको बारम्बार नमस्कार है
या देवी सर्वभूतेषु दयारूपेण संस्थिता
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम: ।।
जो देवी सभी प्राणियों में दया रूप में स्थित हैं, उनको नमस्कार, उनको नमस्कार, उनको बारम्बार नमस्कार है
या देवी सर्वभूतेषु तुष्टिरूपेण संस्थिता
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम: ।।
जो देवी सभी प्राणियों में तुष्टि रूप में स्थित हैं, उनको नमस्कार, उनको नमस्कार, उनको बारम्बार नमस्कार है
या देवी सर्वभूतेषु मातृरूपेण संस्थिता
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम: ।।
जो देवी सभी प्राणियों में माता रूप में स्थित हैं, उनको नमस्कार, उनको नमस्कार, उनको बारम्बार नमस्कार है
या देवी सर्वभूतेषु भ्रान्तिरूपेण संस्थिता
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम: ।।
जो देवी सभी प्राणियों में भ्रान्ति रूप में स्थित हैं, उनको नमस्कार, उनको नमस्कार, उनको बारम्बार नमस्कार है
इन्द्रियाणा-मधिप्ठात्री भूतानां चाखिलेषु या
भूतेषु सततं तस्यै वियाप्तिदेव्यै नमो नम:
जो जीवों के इन्द्रिय वर्ग की अधिष्ठात्री देवी एवं सब प्राणियों में सदा व्याप्त रहने वाली हैं, उन व्याप्ति देवी को बारम्बार नमस्कार है
चितिरूपेण या कृत्स्न-मेतद्-व्याप्य स्थिता जगत्
नमस्तस्यै नमस्तस्यैनमस्तस्यै नमो नम: ।।
जो देवी चैतन्य रूप से सम्पूर्ण जगत को व्याप्त करके स्थित हैं, उनको नमस्कार, उनको नमस्कार, उनको बारम्बार नमस्कार है
स्तुता सुरै: पूर्वमभीष्ट-संश्रयात्तथा सुरेन्द्रेण दिनेषु सेविका
करोतु सा न: शुभहेतुरीश्र्वरी शुभानि भद्राण्यभिहन्तु चापद:।।
पूर्वकाल में अपने अभीष्ट की प्राप्ति होने से देवताओं ने जिनकी स्तुति की तथा देवराज इंद्र ने बहुत दिनों तक जिनका सेवन किया, वह कल्याण की साधनभूता ईश्वरी हमारा कल्याण और मंगल करे तथा सभी आपत्तियों का सर्वनाश करें।
या साम्प्रतं चोध्दत-दैत्य-तापितैरस्माभिरीशा च सुरैर्नमस्यते
या च स्मृता तत्क्षणमेव हन्ति न:सर्वापदो भक्ति-विनम्र-मूर्तिभि:।।
उद्दंड दैत्यों से सताये हुए हम सभी जिन परमेश्वरी को इस समय नमस्कार करते हैंतथा जो भक्ति से विनम्र पुरुषों द्वारा स्मरण की जाने पर तत्काल ही सम्पूर्ण विपत्तियों का नाश कर देती हैं, वे जगदम्बा हमारा संकट दूर करें।
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निष्कर्ष :
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