कलयुग का अंत कैसे होगा ? | End Of Kaliyug According To Mythology
कलयुग लगभग 432000 सालो का हे जिसमे 5000 साल पुरे हो चुके हे | सतयुग,द्वापरयुग,त्रेतायुग और अंतमें कलयुग ये चार युगो से मिलकर बना हे ये समय | जब ब्रह्माजी ने सृष्टि की रचना की तो, सृष्टि की शुरुआत सतयुग से की और अंत कलयुग से |
कर्म फल एक कहानी | Spiritual Story in Hindi
कलयुग में पाप करने वालों की संख्या सबसे अधीक होगी कपटी और स्वार्थी व्यक्ति ही विद्वान माना जायेगा जन संख्या लगातार बढ़ती ही जाएगी | कलयुग में आश्रम और गुरुकुल जैसी कोई व्यवस्था नही होगी वेदो का कोई पठनं नहीं करेगा | शिष्य, गुरु का आदर नहीं करेंगे | पुत्र अपने पुत्रधर्म का पालन नहीं करेंगे जिसके कारण वृद्धाश्रम की संख्या बढ़ती जाएगी
थोड़ा सा धन कमा लेने पर व्यक्ति में अहंकार आ जायेगा | और लोग थोड़े से पैसे कमाने के लिए भी दूसरों का बुरा करने से नहीं कतरायेंगे | अधिकांश धन घर बनाने में नष्ट हो जायेगा और जिससे दान – पुण्य जैसे कार्य नहीं होंगे | कलयुग में मनुष्य की आयु सिर्फ २० या २५ साल की हो जाएगी
श्रीमदभगवदपुराण में कहा हे की समय के न्याय से ना तो वो लोग वंचित रहेंगे जिन पर अत्याचार होता हे और न वो लोग समयके दल से बच सकेंगे जो लोग उन पर अत्याचार करते हे
दोस्तों कलयुग के इस प्रथम चरण में ही बहुत सारी घटनाये होने भी लगी हे जो हम अपने आस पास देख भी रहे हे इसीलिए हमे ऐसी बुरी आदतों और बुरे प्रभावों से दूर रहकर अच्छे कर्म करना चाहिए और हरी नाम का जप करना चाहिए | अपने घर में ही आध्यात्मिक वातावरण बनाना चाहिए जिससे बच्चो को अच्छे संस्कार मिल सके |
पति पत्नी को विवाह के बन्धनं को समझकर उनका पालन करना चाहिए | माता पिता और बड़ो का मान रखकर उनका आशीर्वाद लेना चाहिए | ध्यान जप जैसा कार्य करके अपनी अंतर आत्मा को शुद्ध करना चाहिए और अपने धर्म का पालन करना चाहिए |
कलयुग में पाप करने वालों की संख्या सबसे अधीक होगी कपटी और स्वार्थी व्यक्ति ही विद्वान माना जायेगा जन संख्या लगातार बढ़ती ही जाएगी | कलयुग में आश्रम और गुरुकुल जैसी कोई व्यवस्था नही होगी वेदो का कोई पठनं नहीं करेगा | शिष्य, गुरु का आदर नहीं करेंगे | पुत्र अपने पुत्रधर्म का पालन नहीं करेंगे जिसके कारण वृद्धाश्रम की संख्या बढ़ती जाएगी
थोड़ा सा धन कमा लेने पर व्यक्ति में अहंकार आ जायेगा | और लोग थोड़े से पैसे कमाने के लिए भी दूसरों का बुरा करने से नहीं कतरायेंगे | अधिकांश धन घर बनाने में नष्ट हो जायेगा और जिससे दान – पुण्य जैसे कार्य नहीं होंगे | कलयुग में मनुष्य की आयु सिर्फ २० या २५ साल की हो जाएगी
कलयुग की स्त्रियाँ केवल धनवान पुरूष को ही अपना स्वामी मानेंगी और निर्धन पति को त्याग देगी |
कलयुग की स्त्रियाँ अपनी रूचि के हिसाब से ही आचरण करेगी और हाव भाव विलास में ही उनका मन लगा रहेगा | कलयुग में धन रहित व्यक्ति को बेकार माना जायेगा विवाह में प्रेम नहीं समजोता होगा | स्त्रियों में लाज लज्जा केवल शून्य मात्रा में ही रह जाएगी कलयुग me स्त्रियाँ अपने पति और गुरुजनो ka आदर भी नहीं करेगी उसके आलावा वो दुराचारी पुरुषो से मिलने की अभिलाषा करेगी | कलयुग में लोग शरीर को ही अपना सबकुछ मानेंगे और आत्मा को जानने का कोई प्रयास ही नहीं करेगा
कलयुग में धर्म और कर्म में मानने वालो की शंख्या कम हो जाएगी कलयुग में राजा चोर और चोर राजा जैसा वर्तन करेगा कलयुग में लोग रोगग्रस्त होंगे स्त्री और पुरुष दोनों ही अधर्मी हो जायेंगे दोनों ही विवाह धर्म का पालन नहीं करेंगे | कलयुग में व्यभिचार और भ्रष्टाचार चरम पर होगा। केवल धनवान व्यक्ति ही न्याय पा सकेंगे और जो धन नहीं खर्च पायेगा उसे न्याय के लिए दर-दर की ठोकरें खानी होंगी | कलयुग में कौन व्यक्ति किस व्यक्ति की मदद कर रहा है यह पता ही नहीं लगेगा । आपको जो सहयोगी दिख रहा है वह पीछे षडयंत्र कर रहा होगा।
कलयुग दिखावे का युग होगा, लोग सिर्फ दूसरो के सामने अच्छा दिखने के लिए धर्म-कर्म के काम करेंगे।
कलयुग की सबसे बड़ी विडंबना ये होगी की कलयुग में मनुष्य अपने छोटे से स्वार्थ के लिए दुसरो के बड़े बड़े हितो को भेट चढाने में संकोच नहीं करेगा | कलयुग में भाई भाई का नहीं होगा और तो और संतान भी अपनी माता पिता की नहीं होगी | मनुष्य केवल अपने और केवल अपने बेटो बच्चो के घेरे में रहकर सिमित हो जायेगा और बाकि सब पराये हो जायेगे | कलयुग में मनुष्य की विचार धारा इतनी गिरी हुई होगी की मनुष्य दूसरे के दुःख में अपना सुख ढूढ़ेगा अपने परिवार का पेट पालने के लिए दुसरो की हत्या करने में उसको कोई ग्लानि कोई संकोच नहीं होगा
कलयुग में लोग सत्ता के लालच में अपने ही संतान की बलि चढ़ाने में अग्रेसर होंगे सत्ता मानवता के उद्धार के लिए होती हे परन्तु कलयुग में सत्ता का उद्येश्य केवल अपना उध्दार करना होगा | सत्ता का मार्ग अधर्म का मार्ग होगा और सत्ता के कीड़े सारे संसार को खोखला कर देंगे | दिन प्रतिदिन मानवता विवशता की गहरी खाई में गिरती चली जाएगी
कलयुग की स्त्रियाँ अपनी रूचि के हिसाब से ही आचरण करेगी और हाव भाव विलास में ही उनका मन लगा रहेगा | कलयुग में धन रहित व्यक्ति को बेकार माना जायेगा विवाह में प्रेम नहीं समजोता होगा | स्त्रियों में लाज लज्जा केवल शून्य मात्रा में ही रह जाएगी कलयुग me स्त्रियाँ अपने पति और गुरुजनो ka आदर भी नहीं करेगी उसके आलावा वो दुराचारी पुरुषो से मिलने की अभिलाषा करेगी | कलयुग में लोग शरीर को ही अपना सबकुछ मानेंगे और आत्मा को जानने का कोई प्रयास ही नहीं करेगा
कलयुग में धर्म और कर्म में मानने वालो की शंख्या कम हो जाएगी कलयुग में राजा चोर और चोर राजा जैसा वर्तन करेगा कलयुग में लोग रोगग्रस्त होंगे स्त्री और पुरुष दोनों ही अधर्मी हो जायेंगे दोनों ही विवाह धर्म का पालन नहीं करेंगे | कलयुग में व्यभिचार और भ्रष्टाचार चरम पर होगा। केवल धनवान व्यक्ति ही न्याय पा सकेंगे और जो धन नहीं खर्च पायेगा उसे न्याय के लिए दर-दर की ठोकरें खानी होंगी | कलयुग में कौन व्यक्ति किस व्यक्ति की मदद कर रहा है यह पता ही नहीं लगेगा । आपको जो सहयोगी दिख रहा है वह पीछे षडयंत्र कर रहा होगा।
कलयुग दिखावे का युग होगा, लोग सिर्फ दूसरो के सामने अच्छा दिखने के लिए धर्म-कर्म के काम करेंगे।
कलयुग की सबसे बड़ी विडंबना ये होगी की कलयुग में मनुष्य अपने छोटे से स्वार्थ के लिए दुसरो के बड़े बड़े हितो को भेट चढाने में संकोच नहीं करेगा | कलयुग में भाई भाई का नहीं होगा और तो और संतान भी अपनी माता पिता की नहीं होगी | मनुष्य केवल अपने और केवल अपने बेटो बच्चो के घेरे में रहकर सिमित हो जायेगा और बाकि सब पराये हो जायेगे | कलयुग में मनुष्य की विचार धारा इतनी गिरी हुई होगी की मनुष्य दूसरे के दुःख में अपना सुख ढूढ़ेगा अपने परिवार का पेट पालने के लिए दुसरो की हत्या करने में उसको कोई ग्लानि कोई संकोच नहीं होगा
कलयुग में लोग सत्ता के लालच में अपने ही संतान की बलि चढ़ाने में अग्रेसर होंगे सत्ता मानवता के उद्धार के लिए होती हे परन्तु कलयुग में सत्ता का उद्येश्य केवल अपना उध्दार करना होगा | सत्ता का मार्ग अधर्म का मार्ग होगा और सत्ता के कीड़े सारे संसार को खोखला कर देंगे | दिन प्रतिदिन मानवता विवशता की गहरी खाई में गिरती चली जाएगी
कलयुग का अंत और कल्कि अवतार
घोर कलयुग में वो दौर भी आएगा जब चारों तरफ अशांति और त्राहि होगी | कलयुग में हर और पाप ही पाप होंगे तब ऐसी विनाश कारी शक्तियो का अंत करने और निर्बलों की रक्षा करने के लिए भगवान् विष्णु कल्कि अवतार लेकर पापीओ का विनाश करेंगे और सतयुग का प्रारंभ होगा |श्रीमदभगवदपुराण में कहा हे की समय के न्याय से ना तो वो लोग वंचित रहेंगे जिन पर अत्याचार होता हे और न वो लोग समयके दल से बच सकेंगे जो लोग उन पर अत्याचार करते हे
दोस्तों कलयुग के इस प्रथम चरण में ही बहुत सारी घटनाये होने भी लगी हे जो हम अपने आस पास देख भी रहे हे इसीलिए हमे ऐसी बुरी आदतों और बुरे प्रभावों से दूर रहकर अच्छे कर्म करना चाहिए और हरी नाम का जप करना चाहिए | अपने घर में ही आध्यात्मिक वातावरण बनाना चाहिए जिससे बच्चो को अच्छे संस्कार मिल सके |
पति पत्नी को विवाह के बन्धनं को समझकर उनका पालन करना चाहिए | माता पिता और बड़ो का मान रखकर उनका आशीर्वाद लेना चाहिए | ध्यान जप जैसा कार्य करके अपनी अंतर आत्मा को शुद्ध करना चाहिए और अपने धर्म का पालन करना चाहिए |
इस तरह से हम कलयुग के प्रकोप से खुद को और अपने आस पास के लोगो को बचा सकते हे
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