भगवान शिव और श्री कृष्ण मिलाप - Lord Krishna Lord Shiva ramanand sagar
भगवान शिव जब ब्राह्मण रूप मैं श्री कृष्ण के दर्शन हेतु गोकुल आते हैं तो मैया यशोदा उनके लिए भिक्षा लाती हैं। भिक्षा में शिव को जब मैया यशोदा हार देती है तो भगवान शिव हार लेने माना कर देते हैं और कहते हैं की मुझे सिर्फ़ भिक्षा के तौर पे श्री कृष्ण के दर्शन कर दो।यशोदा मैया डर जाती है और माना कर देती हैं और जाने के लिए कहती हैं। तब पुरणमासी काकी आकर यशोदा को मनाती है की एक बार साधु को कान्हा के दर्शन कर दे तो वो मान जाती है और श्री कृष्ण को बाहर ले आती हैं। भगवान शिव श्री कृष्ण से मिलकर वापस चले जाते हैं।
श्री कृष्ण धीरे धीरे बड़े होते जाते हैं। मैया यशोदा कान्हा को माखन खाने से रोकती हैं पर कान्हा चुपके से माखन उठा लेते हैं और खाने लगते हैं और तब मैया यशोदा उन्हें पकड़ लेती हैं और प्यार से समझती हैं और उन्हें माखन चोर का नाम देती हैं।
एक दिन मैया यशोदा श्री कृष्ण को अपने साथ घाट पर ले जाती हैं तो वहाँ श्री कृष्ण को धरती माँ प्रकट होकर प्रणाम स्वीकार करती है और उनकी मिट्टी को प्रशाद के तौर पर श्री कृष्ण ग्रहण करते हुए खा लेते हैं।
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें