प्रत्येक पद पर दूसरे पद के विषय मे कोई
निर्णय करना ही पडता है और निर्णय…
निर्णय अपना प्रभाव छोड जाता है।
आज किये हुये निर्णय भविष्य में सुख और दु:ख निर्मित करते हैं
न केवल अपने लिए अपितु अपने परिवार के लिए भी
और आने वाली पीढ़ियों के लिए भी…
जब कोई परेशानी आती है तो मन व्याकुल हो जाता है
अनिश्चय से भर जाता है। निर्णय का वो क्षण युद्ध बन जाता है।
और मन बन जाता है युद्धभूमि…
अधिकतर निर्णय हम परेशानी का उपाय करने के लिए नहीं
केवल मन को शांत करने के लिए लेते हैं।
पर क्या कोई दौड़ते हुए भोजन कर सकता है? नहीं …
तो क्या युद्ध से जूझता हुआ मन कोई योग्य निर्णय ले पायेगा?
वास्तव में शांत मन से किया गया निर्णय अर्थात
शांत मन से कोई निर्णय करता है तो
अपने लिए सुखद भविष्य बनाता है।
किन्तु अपने मन को शांत करने के लिए
जब कोई व्यक्ति निर्णय करता है तो वो
व्यक्ति भविष्य में अपने लिए कांटो भरा वृक्ष लगाता है।
स्वयं विचार कीजिए!
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