जब वो नीचे जल में गहरायी में पहुँच जाते हैं तो नाग राजा कलिया की पत्नियाँ उसे रोकती हैं। पर श्री कृष्ण नागराज से मिले बिना नहीं जाऊँगा की ज़िद्द पर अड़ जाते हैं। कलिया नाग जाग जाता है और श्री कृष्ण को मारने के लिए आगे बढ़ता है तो श्री कृष्ण उससे लड़कर उसे हरा देते हैं।
कलिया नाग की पत्नी उसे माफ़ करने की प्रार्थना करती हैं कलिया नाग माफ़ी माँगता है तो श्री कृष्ण कलिया को माफ़ कर देते हैं और उसे यमुना नदी छोड़ने को कहते हैं। श्री कृष्ण कलिया के फ़न पर खड़े हो बाहर आते हैं और उस पर नृत्य करते हैं। कंस बहुत ही बेचैन हो जाता है जब वह कलिया नाग के बारे में सुनता है तो चाणुर उन्हें देवकी और वासुदेव का वध करने की सलाह देता है।
जब कंस उन्हें मारने के लिए कारागार में जाता है तो उसे फिर से वहाँ नाग देखायी देता है और वो वहाँ से भाग जाता है। जो नाग कंस को दिखता है वह स्वयं बलराम अपने शेष नाग रूप में होते हैं। बलराम को साँप की तरह नींद में आवाज़ निकलते हुए देख रोहिनी डर जाती है।
श्री कृष्ण उस बात को सपने में कलिया नाग का नाम इस्तेमाल करके बात को टाल देते हैं। लेकिन इस बात से रोहिनी और यशोदा दुखी हो जाती हैं।
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