भरत मिलाप
श्री राम के विवाह के बाद राजा दशरथ श्री राम को अयोध्या का राजा बनाने की घोषणा करते हैं तो मंथरा रानी कैकयी को भड़काती हैं और कहती है की राम को राजा ना बनने दे, राम की जगह भरत को राजा बनाया जाए ये माँग कैकयी को राजा दशरथ से करनी चाहिए।
कैकयी मंथरा की बात से प्रभावित हो कोप भवन में चली जाती हैं और राजा दशरथ से अपने दो वचन माँगती है जिसमें राम को 14 वर्ष का वनवास और भरत को राजा बनाया जाए। राजा दशरथ कैकयी के वचनों में बंध कर रह जाते हैं और श्री राम को वनवास के लिए भेज देते हैं।
श्री राम अपने पिता के आदेश की पूर्ति हेतु वनवास के लिए तैयार हो जाते हैं तब उनके साथ लक्ष्मण और माता सीता भी वनवास के लिए जाने की आज्ञा माँगते हैं और वो भी उनके साथ वनवास के लिए चले जाते हैं। श्री राम के वियोग में राजा दशरथ मृत्यु को प्राप्त हो जाते हैं। जब यह सब हो रहा था तो भरत राज्य में नहीं था वह अपने ननिहाल गया हुआ था जब वह वापस आता है तो उसे सब पता चलता है तो वह अपनी माँ कैकयी पर क्रोधित होता है और श्री राम को वापस लाने के लिए चल पड़ता है।
भरत श्री राम को वापस चलने के लिए मनाता है परंतु श्री राम वापस नहीं आते वो अपने पिता के वचन का पालन करने के लिए वनवास पूरा करते हैं। वनवास के दौरान श्री राम बहुत से राक्षसों को मारते हैं जिसमें लंका पति रावण को भी मरते हैं, जो माता सीता का हरण कर ले जाता हैं।
माता सीता को ढूँढते हुए श्री राम हनुमान, सुग्रीव जैसे अन्य मित्रों से मिलते हैं जो उनकी माता सीता को वापस लाने में सहायता करते हैं। श्री राम रावण को मारकर माता सीता को जब वापस लेकर अयोध्या लौटते हैं तो भरत राज्य के बाहर श्री राम की ही तरह वनवासी रूप में रह रहा होता है। जब दोनों भाई आपस में मिलते है तो बहुत ही प्रसन होते हैं।
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